BJP Vs Shiv Sena : रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैबिनेट बैठक से दूरी बनाने के बाद शिंदे गुट के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव करीब आते ही भाजपा नीत महायुति गठबंधन के भीतर की खींचतान खुलकर सामने आने लगी है। भाजपा ने हाल ही में कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने पाले में लाकर ताकत बढ़ाई है, लेकिन यही कदम शिवसेना (शिंदे गुट) के लिए असहज हालात पैदा कर रहा है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी अपने नेताओं के भाजपा में जाने से नाराज है। यह नाराजगी मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में साफ दिखाई दी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में छह महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस बैठक में शिवसेना के सभी मंत्री गैरहाज़िर रहे। हालांकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मौजूद थे, लेकिन उनके ही गुट के मंत्रियों का इस तरह कैबिनेट बैठक से दूरी बनाना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया।
दरअसल, भाजपा ने हाल ही में शिवसेना के चार पूर्व नगरसेवकों को पार्टी में शामिल किया। यही कदम शिंदे गुट की नाराजगी की वजह बना। शिवसेना के मंत्री राज्य सचिवालय में थे, लेकिन वह कैबिनेट मीटिंग हॉल में नहीं गए। बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की, इस दौरान शिंदे भी वहां मौजूद थे।
कैबिनेट बैठक से दूरी बनाने के बाद शिंदे गुट के मंत्रियों ने सीएम फडणवीस से मुलाकात कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। इसमें मंत्री प्रताप सरनाईक भी मौजूद थे। शिंदे गुट के नेता सरनाईक ने कहा कि गठबंधन में कुछ नियम होते हैं और उनका पालन होना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि उनके लोगों को भाजपा में शामिल करना उन्हें पसंद नहीं आया। सरनाईक ने कहा, “हमने फडणवीस जी से इस पर बात की। उन्होंने पूरा समर्थन दिया है। ये गलतियां जमीनी स्तर पर हुई हैं। इन्हें सुधारा जाएगा।“
वहीं, मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद शिवसेना नेता व मंत्री भरत गोगावले ने कहा कि गलतियां दोनों तरफ से होती हैं, ताली एक हाथ से नहीं बजती। मुख्यमंत्री और हमारे नेता शिंदे साहब इस पर चर्चा करके कोई रास्ता निकालेंगे। इस मामले में किसी ने किसी को सुनाया, फटकारा, ऐसा कुछ नहीं है। आपसी सहमति से रास्ता निकाला गया।
दूसरी ओर भाजपा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सफाई देते हुए कहा कि दोनों दलों के बीच यह तय हुआ है कि एक-दूसरे के कार्यकर्ताओं को नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि छोटे चुनावों में कुछ बातें हो जाती है, लेकिन उसे हम आपस में सुलझा लेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि कैबिनेट बैठक में अनुपस्थित रहना किसी तरह का बहिष्कार नहीं था। भाजपा के भी आठ मंत्री बैठक में नहीं आये थे। क्योंकि मंत्री स्थानीय चुनावों की तैयारी में व्यस्त है।
एकनाथ शिंदे की नाराजगी नई नहीं है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भी मुख्यमंत्री पद न मिलने को लेकर वह नाखुश थे, इसके अलावा उन्हें इस बात से भी आपत्ति रही कि कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) के वे नेता, जिन्होंने शिवसेना के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ा था, बाद में भाजपा में शामिल कर लिए गए।