Uddhav Thackeray Raj Thackeray Alliance : संजय राउत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि अगर ठाकरे भाइयों की एकता बरकरार नहीं रही तो मुंबई अडानी-लोढ़ा की जेब में चली जाएगी और महाराष्ट्र से अलग हो जाएगी।
महाराष्ट्र की राजनीति में बीते कुछ दिनों से बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। करीब दो दशक बाद मराठी भाषा और मराठी अस्मिता के मुद्दे पर ठाकरे भाई यानी उद्धव और राज ठाकरे एक मंच पर नजर आए। इसके बाद उद्धव की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच गठबंधन की संभावना से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि आगामी निकाय चुनावों में शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे एक साथ आ सकती हैं। लेकिन इन कयासों के बीच मनसे के वरिष्ठ नेता और राज ठाकरे के बेहद करीबी बाला नांदगावकर (Bala Nandgaonkar) ने गठबंधन को लेकर एक अहम बयान दिया है।
मीडिया से बातचीत में बाला नांदगावकर ने कहा, “अब तक हमने हर चुनाव अकेले लड़ा है, और जरूरत पड़ी तो आगे भी अकेले लड़ेंगे।" उन्होंने स्पष्ट किया कि गठबंधन पर अंतिम निर्णय पार्टी प्रमुख राज ठाकरे ही लेंगे, क्योंकि वही जानते हैं कि पार्टी के हित में क्या है।
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में साप्ताहिक कॉलम ‘रोख ठोक’ में छपे संजय राउत के लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए मनसे नेता नांदगावकर ने कहा, “मैंने अब तक वह लेख पढ़ा नहीं है, लेकिन गठबंधन होगी या नहीं, इस बारे में मुझे नहीं पता है। हम पार्टी को बढ़ाने के लिए सब कुछ कर रहे है।" उन्होंने आगे कहा, “राज ठाकरे साहेब पार्टी के हित में जो निर्णय लेंगे, वह हमें मान्य होगा। वह हमसे बहुत आगे का सोचते हैं।”
इससे पहले शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि उनके पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच गठबंधन होना जरूरी है। इससे महाराष्ट्र को नई दिशा मिलेगी। सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम ‘रोख ठोक’ में राउत ने यह भी दावा किया कि सत्तारूढ़ बीजेपी का महाराष्ट्र की एकता और मराठी अस्मिता की लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं है।
राज्यसभा सांसद राउत ने आरोप लगाया कि बीजेपी की नीति पहले मुंबई को लूटना, फिर मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाना और अलग विदर्भ का खेल खेलना और महाराष्ट्र का अस्तित्व ही खत्म कर देना है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ठाकरे भाइयों की एकता बरकरार नहीं रही तो मुंबई अडानी-लोढ़ा की जेब में चली जाएगी और एक दिन मुंबई महाराष्ट्र से अलग हो जाएगा।
बता दें कि 5 जुलाई को लगभग 20 वर्षों में पहली बार मनसे प्रमुख के साथ राजनीतिक मंच साझा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे एक साथ होने के लिए साथ आए हैं। ठाकरे भाईयों की नजदीकी ने सूबे के राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है।