नागौर

जीरा, सौंफ और ईसबगोल से किसानों की हो रही सबसे ज्यादा कमाई, 4 महीने में कमाए 500 करोड़ रुपए

Mandi News: मेड़ता मंडी में 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक रबी जिंसों में सबसे ज्यादा मसाला फसल सौंफ की आवक हुई है। बीते चार महीनों में 1 लाख 44 हजार 317 क्विंटल सौंफ मंडी में बिकने पहुंची है, जिससे किसानों को 115.78 करोड़ रुपए की आय हुई है।

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Aug 22, 2024

Rajasthan News: प्रदेश की विशिष्ट श्रेणी की मेड़ता कृषि उपज मंडी में पिछले 4 महीने में 500 करोड़ रुपए का जीरा, सौंफ और ईसबगोल बिका है। यानी अप्रैल से जुलाई तक के चार महीने में किसानों को जीरा, सौंफ और ईसबगोल की फसल बेचने से 500 करोड़ रुपए की आय हुई है। अब अगस्त का महीना रबी की ऑफ सीजन के रूप में निकल रहा है, मगर सितंबर से खरीफ सीजन की शुरुआत हो जाएगी। सितंबर के दूसरे पखवाड़े के शुरुआती दिनों में ही मंडी में नया मूंग भी बिकने के लिए पहुंच जाएगा।

मंडी सचिव राजेंद्र कुमार रियाड़ ने बताया कि मेड़ता मंडी में 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक रबी जिंसों में सबसे ज्यादा मसाला फसल सौंफ की आवक हुई है। बीते चार महीनों में 1 लाख 44 हजार 317 क्विंटल सौंफ मंडी में बिकने पहुंची है, जिससे किसानों को 115.78 करोड़ रुपए की आय हुई है। वहीं 1 लाख 2 हजार 553 क्विंटल जीरा की आवक से किसानों को 254 करोड़ रुपए मिले हैं। इसी तरह 1 लाख 363 क्विंटल ईसबगोल से किसानों को 122 करोड़ रुपए मिले हैं। यानी तीन रबी की जिंसों से ही किसानों को करीब 500 करोड़ रुपए की आय हुई है। इसी तरह 1 लाख 4 हजार 659 क्विंटल सरसों से किसानों को 53 करोड़ रुपए मिले हैं। मेड़ता मंडी में जीरे के प्रमुख व्यवसायी सुमेरचंद जैन ने बताया कि अब मेड़ता कृषि उपज मंडी में रबी की सीजन समाप्ति की ओर है। मंडी में रबी जिंसों की आवक कम हो गई है। अब सितंबर महीने से मंडी में खरीफ सीजन शुरू हो जाएगी। अक्टूबर और नवंबर में खरीफ सीजन की बपर आवक शुरू हो जाएगी। मंडी उद्योग एवं व्यापार संघ के उपाध्यक्ष रामअवतार चितलांगिया ने बताया कि मेड़ता कृषि उपज मंडी में सितंबर के दूसरे पखवाड़े से नए मूंग की आवक भी शुरू हो जाएगी।

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जीरे ने किसानों को दी ज्यादा कमाई

मंडी में बीते 4 महीने में सबसे ज्यादा सौंफ की आवक हुई है, मगर किसानों को सबसे ज्यादा कमाई जीरे ने दी है। अप्रेल से जुलाई तक 1.44 लाख क्विटंल सौंफ मेड़ता मंडी में आई, जिससे किसानों को 115.78 करोड़ की आय हुई है। वहीं 1.02 लाख क्विंटल जीरे की आवक से किसानों को 254 करोड़ रुपए मिले हैं।

दरअसल मेड़ता मंडी में व्यापारिक पारदर्शिता की वजह से चाहे रबी की सीजन हो या खरीफ की… हर सीजन में अनाज की आवक ज्यादा होती है। सिर्फ मेड़ता ही नहीं नागौर जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिले पाली, जोधपुर, अजमेर, डीडवाना-कुचामन, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों से किसान अपना अनाज यहां बेचने के लिए लेकर पहुंचते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है मेड़ता मंडी में किसानों को अनाज का पैसा तुरंत मिलता है। दूसरा यहां अन्य मंडियों के मुकाबले भावों में भी तेजी रहती है, जिससे किसानों को भी फायदा होता है।

Updated on:
25 Oct 2024 10:34 am
Published on:
22 Aug 2024 04:44 pm
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