मूण्डवा नागौर '' एकर निजरयां दिखाद् यो सैंदा रूंख, बाबाेसा-भिरोसा घर रो बारणों, अळियां-गळियां करणो किलोळ, सहेलियां संग खेलणों..., कानदान कल्पित की सिखड़ली कविता की यह मूण्डवा में माहेश्वरी समाज की बहन बेटियों की दो दिवसीय चहल-पहल से जीवंत हो उठीं।
मूण्डवा में बहन बेटियों का उत्सव:
- सोशल मीडिया से जुटी साढ़े चार सौ बहनें, दो दिन में लौटे बचपन के पल
मूण्डवा नागौर ''एकरनिजरयांदिखाद् यो सैंदा रूंख, बाबाेसा-भिरोसा घर रो बारणों, अळियां-गळियां करणो किलोळ, सहेलियां संग खेलणों..., कानदान कल्पित की सिखड़ली कविता की यह मूण्डवा में माहेश्वरी समाज की बहन बेटियों की दो दिवसीय चहल-पहल से जीवंत हो उठीं। वर्षों बाद बेटियों ने बाल रूप में अठखेलियां करते हुए अपने बचपन की यादों को जीया
भाईयों का मिला सहयोग
इन्द्रा जाजू और पदमा बजाज ने बताया कि शादी के बाद वे अलग राज्यों में रहने लगीं और बचपन की सहेलियों के साथ मिलना संभव नहीं हो पाया। तीन साल पहले मूंडवा की सभी बहन-बेटियों को एकत्रित मिलने की इच्छा जागृत हुई। जून महीने से मूण्डवा की सभी बहन बेटियों से संपर्क करना शुरू किया। साढ़े चार सौ बहनों ने आयोजन की सहमति दी। इसके लिए और मूण्डवा में रहने वाले माहेश्वरी समाज के भाईयों से सहयोग भी मिला। हालांकि पारिवारिक व्यस्तताओं के कारण सौ से अधिक बहनें ही उपस्थित हुई हैं।
बचपन की यादें ताजा
दो दिन के इस कार्यक्रम में बहन बेटियों ने मूण्डवा के प्रमुख स्थलों का भ्रमण किया। धनुर्मास के चलते भगवान वैंकटेश व गौदंभाजी के विवाह उत्सव में वैंकटेश मन्दिर में तुलसी पूजन कर प्रसाद ग्रहण किया। जैसे बचपन में मन्दिर परिसर में बैठकर गोष्ठी का प्रसाद लिया करते थे, वैसा ही अनुभव आज भी हुआ।
सीखे खुश रखने के गुर
बहन- बेटियों ने बताया कि सालासर बालाजी, बड़ी रिड़ी, छोटी रिड़ी, पोकंडी तालाब सहित कई स्थलों का भ्रमण किया गया। बालकिशन काका की पोळ पहुंचे, जहां बुजुर्ग बालकिशन काका ने अपनी आशीर्वाद भरी यादें साझा की। सारड़ा भवन में चेतन्या मीरा ने मोटिवेशनल स्पीच दी और ध्यान के माध्यम से जीवन को सरल और खुश रखने के गुर सिखाए। बहन बेटियों ने तीज-त्यौहार और अन्य आयोजनों पर गाए जाने वाले लोकगीतों व धार्मिक गीतों का आनंद लिया।
बहनों को दी सीख
बहन बेटियों ने खानपान, वेशभूषा और अन्य व्यवस्थाओं की अपनी अलग ही योजना बनाई। माहेश्वरी समाज की ओर से शनिवार का सहभोज का आयोजन रखा गया।इसमें समाज के लोग भी शामिल हुए। बाहर से आईं बहनों के लिए सामूहिक रूप से ठहरने की व्यवस्था खांडल माता मन्दिर में की गई थी। शाम को झंवर परिवार की ओर से भोजन कराने के साथ बहन-बेटियों को सीख दी गई।