नागौर

Nagaur News : कांच का मंदिर, दरवाजों पर लगे तालों का रहस्य आज भी बरकरार

भगवान ऋषभदेव का 539 साल पुराना मंदिर जैन धर्मावलंबियों के साथ देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है।

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Sep 05, 2024

नागौर।शहर के मच्छियों का चौक स्थित जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का 539 साल पुराना मंदिर जैन धर्मावलंबियों के साथ देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है। मंदिर में अष्टधातु से निर्मित वर्षों पुरानी भगवान ऋषभदेव की मूर्ति विराजमान है, जो शहर के खत्रीपुरा स्थित चोरड़िया परिवार के घर में निकली थी, जिसकी 539 साल पहले यानी संवत 1541 में इस मंदिर में प्रतिष्ठा की गई।

यह मंदिर कांच के काम, नक्काशी, डिजाइन और बनावट के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। पूरे मंदिर में कांच और चांदी की अद्भुत नक्काशी होने से मंदिर का नाम ही कांच का मंदिर पड़ गया। मंदिर में भगवान ऋषभदेव के बाएं भाग में पार्श्वनाथ भगवान और दाएं भाग में आदेश्वर भगवान की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में गिरनार, पावापुरी, शत्रुजा महातीर्थ, सम्मेद शिखरजी आदि के वर्षों पुराने पट लगे हुए हैं।

अनूठा है माळ महोत्सव

मंदिर के पुजारी हेमंत एवं मुनीम गोरधनदास ने बताया कि पूरे भारत में अकेले नागौर के इस मंदिर में ही माळ महोत्सव मनाया जाता है। यह संवत्सरी से एक दिन पहले मनाया जाता है। इसमें भगवान को माला पहनाने वाले व्यक्ति का शहर में जुलूस निकालकर घर तक पहुंचाया जाता है।

हर महीने यहां दो से ढाई हजार लोग आते हैं, इनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। मंदिर मार्गी ट्रस्ट के अध्यक्ष धीरेन्द्र समदडिय़ा ने बताया कि कांच का मंदिर नागौर के जैन श्वेतांबर मंदिर मार्गी ट्रस्ट की पेढ़ी है। मंदिर में नक्काशीदार दरवाजे लगे हुए हैं, जिनमें हाथी दांत से नक्काशी की हुई है।

Published on:
05 Sept 2024 02:09 pm
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