जिला अस्पताल के हालात गंभीर : कबाड़ हो चुकी सीटी स्कैन मशीन, प्रशासन कर रहा नई का इंतजार, सोनोग्राफी के लिए आने वाले रोगियों को 20-22 के बाद की दी जा रही है तारीख
नागौर. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री के गृह जिले नागौर के जिला मुख्यालय पर स्थित जेएलएन राजकीय अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्थाएं बेपटरी होती जा रही हैं। आधुनिक सुविधाओं और बेहतर इलाज के बड़े-बड़े दावों के बीच जमीनी हकीकत यह है कि यहां मरीजों को समय पर बुनियादी जांच तक नसीब नहीं हो रही है। हालत यह है कि एक के बाद एक जरूरी जांच सुविधाएं बंद होती जा रही हैं और मरीज मजबूरी में निजी जांच केंद्रों की शरण लेने को विवश हैं। पहले से ही पुरानी हो चुकी सीटी स्कैन मशीन लंबे समय से बंद है और अब सोनोग्राफी जांच की सुविधा भी पूरी तरह पटरी से उतर गई है।अस्पताल में स्थिति इतनी गंभीर है कि सीटी स्कैन मशीन पुरानी हो चुकी है और लंबे समय से खराब पड़ी है। जिससे गंभीर मरीजों को बाहर निजी जांच केंद्रों का रुख करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर सोनोग्राफी जांच भी बदहाली के दौर से गुजर रही है। खुद अस्पताल प्रशासन के अनुसार सोनोग्राफी के लिए 20 से 22 दिन तक की वेटिंग चल रही है, जो किसी भी जिला अस्पताल के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति है।
निजी जांच केंद्रों पर देना पड़ता है पैसाजेएलएन अस्पताल में वर्तमान में केवल एक सोनोलॉजिस्ट कार्यरत है, वह भी डेपुटेशन पर है। ऐसे में जब सोनोलॉजिस्ट अवकाश पर होते हैं या किसी अन्य कार्य से बाहर जाते हैं, तो अस्पताल में सोनोग्राफी जांच पूरी तरह ठप हो जाती है। इसके अलावा रेडियोग्राफर की कमी ने भी स्थिति को और गंभीर बना दिया है। मजबूरी में मरीजों को निजी जांच केंद्रों का रुख करना पड़ रहा है, जहां उनसे भारी शुल्क वसूला जा रहा है। ग्रामीण और गरीब मरीजों के लिए यह स्थिति किसी बड़ी त्रासदी से कम नहीं है। दूर-दराज के गांवों से इलाज की उम्मीद लेकर आने वाले मरीजों को जब सरकारी अस्पताल में जांच सुविधा नहीं मिलती, तो उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है। कई बार आर्थिक तंगी के चलते मरीज जांच ही नहीं करवा पाते, जिससे इलाज में देरी होती है और उनकी हालत और बिगड़ जाती है। खुद पीएमओ के अनुसार जेएलएन अस्पताल में सोनोंग्राफी के लिए 20 से 22 दिन की वेटिंग चल रही है।तबादले हो गए, लेकिन नाम नहीं हटे
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोनोग्राफी जांच केंद्र के बाहर अब भी उन रेडियोलॉजिस्ट और सोनोलॉजिस्ट के नाम अंकित हैं, जिनका काफी समय पहले तबादला हो चुका है। यह न केवल प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि मरीजों को भी भ्रमित करता है। मरीजों का कहना है कि जब चिकित्सा मंत्री स्वयं नागौर जिले से आते हैं, तब भी यदि जिला अस्पताल की यह हालत है, तो अन्य जिलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। कई बार शिकायत के बावजूद न तो स्थायी सोनोलॉजिस्ट की नियुक्ति हो रही है और न ही बंद पड़ी सीटी स्कैन मशीन को दुरुस्त किया जा रहा है।
नई सीटी स्कैन मशीन के लिए पत्र लिखा
जिला अस्पताल में तीन सोनोलाॅजिस्ट हैं, जिनमें से दो एमसीएच विंग में तथा एक जेएलएन अस्पताल में कार्यरत हैं। जब भी कोई अवकाश पर जाता है तो तीनों आपस में समन्वय बनाकर काम करते हैं। जहां तक सोनोग्राफी वेटिंग की बात है तो पहले जहां 27-28 दिन की थी, अब 20-22 दिन की रह गई है। सीटी मशीन पुरानी होने से अब ठीक नहीं हो पा रही है, नई के लिए पत्र लिखा है। आने के बाद ही जांच शुरू हो पाएगी।- डॉ. आरके अग्रवाल, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर