पत्रिका सर्वे में खुली सरकारी कॉलेजों की पोल, केवल घोषणा करके भूल गई सरकार, उच्च शिक्षा का उड़ रहा मखौल
नागौर. जिले की सरकारी कॉलेजों की स्थिति काफी दयनीय है। खासकर पिछले 10 सालों में खोली गई कॉलेजों में शिक्षण व्यवस्था रामभरोसे है। कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय की ओर से विद्या सम्बल योजना के तहत कुछ समय के लिए अस्थाई शिक्षक लगाए जाते हैं, लेकिन स्थाई प्राचार्य सहित अन्य स्टाफ नहीं होने से औपचारिकता ही पूरी हो रही है। जिले के सरकारी स्कूलों की स्थिति को लेकर राजस्थान पत्रिका की ओर से करवाए गए ऑनलाइन सर्वे में सैकड़ों युवाओं ने अपना फीडबैक दिया, जिसमें मात्र 23 प्रतिशत का जवाब था कि कॉलेज सुचारू रूप से संचालित हो रहा है। पूरे शिक्षक हैं और नियमित कक्षाएं संचालित हो रही हैं। इसके अलावा 45.5 प्रतिशत का कहना है कि भवन है, लेकिन शिक्षक नहीं होने से कक्षाएं नहीं लगती। जबकि 30 प्रतिशत से अधिक का कहना है कि कॉलेज में न भवन है, न शिक्षक और न ही अशैक्षणिक स्टाफ। गौरतलब है कि जिला मुख्यालय के श्री बीआर मिर्धा कॉलेज व श्रीमती माडीबाई मिर्धा कन्या महाविद्यालय में शिक्षा की स्थिति अपेक्षाकृत ठीक है, बाकि अन्य कॉलेजों की स्थिति काफी दयनीय है।
कॉलेजों की स्थिति सुधारनी है तो शिक्षक लगाएं
सरकारी कॉलेजों की स्थिति को सुधारने के लिए क्या प्रयास होने चाहिए, इसको लेकर भी एक सवाल सर्वे में शामिल किया, जिसके जवाब में 16 युवाओं ने कहा कि सबसे पहले शिक्षकों के पद भरने चाहिए, ताकि शिक्षण व्यवस्था सुचारू हो सके। इसके अलावा दो विकल्प सरकारी कॉलेजों के भवन बनाने के लिए अन्य सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए, ताकि छात्रों को निजी कॉलेजों में प्रवेश नहीं लेना पड़े तथा नई शिक्षा नीति को सही ढंग से लागू करने के लिए कॉलेजों में सभी पद भरने चाहिए तथा समय पर पाठ्यक्रम पूरा करवाने के साथ परीक्षाएं भी समय पर होनी चाहिए, को शामिल किया गया, जो क्रमश: 2.3 एवं 7 प्रतिशत का जवाब रहा। जबकि 74.4 प्रतिशत ने इन सभी सुविधाओं को विकसित करने की बात कही।