Cooperative Scam: नारायणपुर की सहकारी समितियों में 43 लाख से अधिक का गबन उजागर। RTI और अंकेक्षण रिपोर्ट में कई बैंक कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका सामने आई, जांच तेज।
Cooperative Scam: नारायणपुर जिले की आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों में लंबे समय से चल रही वित्तीय अनियमितताओं पर आखिरकार विभागीय शिकंजा कसने लगा है। सहकारिता विभाग द्वारा किए गए अंकेक्षण और जांच में करोड़ों की वनोपज एवं सहकारी गतिविधियों से जुड़े खातों में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं। आरटीआई के माध्यम से उजागर इस गबन प्रकरण से सहकारी समितियों में हड़कंप का माहौल है।
सहकारिता मंत्री केदार कश्यप नारायणपुर से ही आते हैं। उनके क्षेत्र से मामला उजागर होने पर अब कार्रवाई की तैयारी भी तेज होती दिख रही है। सहायक आयुक्त एवं सहायक पंजीयक, सहकारी संस्थाएं नारायणपुर द्वारा जारी पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2022-23 के अंकेक्षण प्रतिवेदनों में दर्ज आपत्तियों की गंभीर जांच के बाद यह पुष्टि हुई कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित जगदलपुर शाखा नारायणपुर के शाखा प्रबंधक प्रतीक अवस्थी तथा समिति प्रबंधक जेएन देवांगन द्वारा विभिन्न सहकारी समितियों से करोड़ों रुपये के लेनदेन में अनियमितताओं को अंजाम दिया गया।
प्रारंभिक जांच में 43 लाख 86 हजार 741 रुपये का गबन प्रमाणित पाया गया है। यह राशि एडका, नारायणपुर, बेनूर, बाकुलवाही, बिजली, छोटेडोंगर, झारा और धौडाई समितियों से संबंधित है। इनमें समिति में लाखों रुपये के लेनदेन में हेरफेर पाया गया, जिसे सहकारिता विभाग ने अपने रिकॉर्ड में मौजूद अंकेक्षण प्रतिवेदनों के आधार पर सही माना। पत्र में यह भी उल्लेख है कि संबंधित दस्तावेज पहले ही बैंक प्रबंधन को मूल रूप में अग्रेषित किए जा चुके हैं, लेंकिन इसके बावजूद कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। नारायणपुर में जिस स्वरूप में मामला सामने आया है, वह सीधे-सीधे सहकारी संस्था व्यवस्था की छवि बिगाड़ रहा।
Cooperative Scam: बागडोगरी निवासी गांडोराम पोटाई ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन कर यह जानकारी मांगी थी कि इन समितियों में हुए गबन की वसूली के लिए क्या कार्रवाई हुई है। इस आवेदन के जवाब में सहकारिता विभाग ने न केवल दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराईं, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि आज तक बैंक द्वारा किसी भी प्रकार की वसूली कार्रवाई की सूचना कार्यालय को प्राप्त नहीं हुई है। यह जवाब स्वयं इस बात का प्रमाण है कि विभागीय स्तर पर मामला गंभीर माना जा रहा है। लेंकिन बैंक प्रबंधन की ओर से कार्रवाई बेहद सुस्त पड़ी है।