दो साल से बंद है बस स्टेंड पर रात्रिकालीन बसों का ठहराव, ठिठुरते यात्री और मजबूरी का सफ र
Night buses have been suspended
जिले में रात्रिकालीन बस सेवाओं की स्थिति पिछले दो वर्षों से यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। बस स्टैंड से रात में बसों का संचालन पूरी तरह बंद है, जिससे यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सर्द रातों में घंटों बसों का इंतजार करना अब आम बात हो गई है।खमतरा रेलवे फ ाटक पर ओवरब्रिज निर्माण शुरू होने से पहले रात्रिकालीन यात्री बसें नियमित रूप से बस स्टैंड तक आती थीं। यात्री आसानी से बस स्टैंड पहुंचकर सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से अपने सफ र की शुरुआत कर लेते थे। लेकिन जैसे ही ओवरब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हुआ। बसों के आने.जाने का रूट बदल दिया गया। नए रूट और समय.सीमा में तालमेल बैठाने के कारण बस संचालकों ने बस स्टैंड तक बसें लाना बंद कर दिया।
वर्तमान स्थिति यह है कि सभी रात्रिकालीन यात्री बसें शहर के बायपास से होकर निकल जाती हैं। ऐसे में यात्रियों को बस पकडऩे के लिए या तो बायपास तक जाना पड़ता है या फि र सिंहपुर चौराहा स्थित ओवरब्रिज तक पहुंचना पड़ता है, जो शहर से करीब तीन किलोमीटर दूर है। रात के समय इतनी दूरी तय करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता।
बस तक पहुंचने के लिए यात्रियों को मजबूरी में ऑटो या अन्य निजी साधनों का सहारा लेना पड़ता है। इस दौरान ऑटो चालकों द्वारा मनमाने किराए की मांग की जाती है। किराया नहीं देने की स्थिति में यात्रियों को बस पकडऩे के लिए भटकना पड़ता है, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ जाती है।सर्दी के मौसम में रात के समय खुले में बसों का इंतजार करना बेहद दुष्कर हो जाता है। खासकर जब सफर में महिलाएंए बच्चे या बुजुर्ग शामिल हों तब स्थिति और भी संवेदनशील हो जाती है। सुरक्षा, सुविधा और समय तीनों ही मोर्चों पर यात्री खुद को असहाय महसूस करते हैं।यात्रियों का कहना है कि जब तक ओवरब्रिज निर्माण पूरा नहीं होता। तब तक प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था कर रात्रिकालीन बसों को फि र से बस स्टैंड तक लाने की पहल करनी चाहिए ताकि आमजन को इस रोजमर्रा की परेशानी से राहत मिल सके।