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जिले में वाहनों की तेज गति, खराब सडक़ें व नशा बन रहा हादसों की बड़ी वजह

जिले में हर साल औसतन 800 हादसे हो रहे हैं, जिसमें करीब 250 लोगों की मौत

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जिले में हर साल औसतन 800 हादसे हो रहे हैं, जिसमें करीब 250 लोगों की मौत इन हादसों से हो जाती है।

सडक़ों पर बढ़ती घटनाओं की वजह आवागमन ही यह स्थिति अधिक रहती है।

The continuous series of road accidents नरसिंहपुर. जिले में सडक़ दुर्घटनाओं का सिलसिला लगातार चिंता बढ़ा रहा है। लगभग हर दिन जिले की सडक़ें दुर्घटनाओं के कारण खून से लाल हो रही हैं। ज्यादातर घटनाओं की बड़ी वजह वाहनों की हाई स्पीड, सडक़ों की खराब स्थिति, नशा करके वाहन चालन और यातायात नियमों का उल्लंघन रहती है। जिले में हर साल औसतन 800 हादसे हो रहे हैं, जिसमें करीब 250 लोगों की मौत इन हादसों से हो जाती है। वहीं घायलों की संख्या भी हर साल 800 से 1100 तक हो जाती है। जिले में जिस तरह से सडक़ दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, लोगों की असमय जान जा रही है, घायल हो रहे हैं उनसे वाहन चालक कोई सबक नहीं ले रहे हैं।
जिले में सडक़ दुर्घटनाओं के तीन साल के आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि सडक़ों पर जोखिम लगातार बढ़ रहा है। दुर्घटनाओं में कमी लाने, वाहन चालकों को यातायात नियमों की जानकारी देने के साथ ही घटनाओं में घायल लोगों को त्वरित इलाज के लिए अस्पताल भिजवाने पुलिस की राहवीर जैसी योजना भी चल रही है। लेकिन बढ़ती घटनाओं के बाद भी वाहन चालक स्वयं अपनी सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार नहीं दिख रहे हैं। बढ़ती दुर्घटनाओं के जो अन्य कारण हैं उनमें सुधार के लिए भी शासन-प्रशासन की ओर से होने वाले प्रयासों में कमी दिख रही है।
बढ़ती घटनाओं को रोकने जागरूकता-जिम्मेदारी जरूरी
सडक़ हादसों के तीन साल के आंकड़ों को देखें तो स्थिति गंभीर नजर आती है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2023 में जनवरी से नवंबर तक 260 लोगों की मौत हुई, 2024 में यह आंकड़ा 257 रहा, जबकि 2025 में जनवरी से नवंबर तक ही अवधि में ही 244 मौतें दर्ज हो चुकी हैं। इस अवधि में घायलों की संख्या की बात करें तो वर्ष 2023 में 794 लोग घायल हुए, 2024 में यह संख्या बढकऱ 1165 तक पहुंच गई, जबकि 2025 में 998 घायल दर्ज किए गए। इस साल दिसंबर के पहले पखवाड़े में ही कई और घटनाएं होने से यह आंकड़ा बढ़ता ही चला जा रहा है। जिससे तीन साल में 2450 से ज्यादा दुर्घटनाएं दर्ज होना माना जा रहा है। सैकड़ों लोग हर वर्ष सडक़ हादसों में घायल होकर जीवन भर की शारीरिक,मानसिक पीड़ा झेलने को मजबूर हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक तेज रफ्तार पर नियंत्रण, सडक़ सुधार, नशे में वाहन चलाने पर सख्ती और नियमों के पालन को गंभीरता से लागू नहीं किया जाएगा, तब तक दुर्घटनाओं पर प्रभावी रोक संभव नहीं है। यातायात पुलिस के अनुसार नशे की हालत में वाहन चलाने वालों पर निरंतर कार्रवाई होती है। इस साल 200 से ज्यादा चालानी कार्रवाई हो चुकी है। नियमों के उल्लघंन पर भी चालान किए जा रहे हैं।
बाक्स
किसी ने खोया कमाने वाला तो किसी की इलाज में लुट गई जमापंूजी
हादसा कोई भी हो वह केवल उसे ही दर्द नहीं देता जो हादसे का शिकार होता है बल्कि वह पूरे परिवार के लिए भी एक स्थाई दर्द दे जाता है। बीते साल एक सडक़ हादसे में अपने पुत्र को खोने वाले एक माता-पिता को आज भी बेटे की कमी सालती है। वह बेटा जो परिवार की गुजर-बसर करता था, बूढ़े माता-पिता का सहारा था। लेकिन किसी वाहन की टक्कर ने बेटे को उनसे छीन लिया। एक अन्य घटना में मां और भाई की अनकही तकलीफ यह है कि हाइवे पर अज्ञात वाहन की टक्कर से युवा बेटे को इतनी गंभीर चोट लगी कि एक पखवाड़े से अधिक समय तक उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इलाज में 7 से 8 लाख रुपए खर्च हो गए। बेटे की जान तो बच गई लेकिन उसकी हालत अब ऐसी नहीं है कि वह कोई भागदौड़ भरा कार्य कर सके। हादसों के आंकड़ों के पीछे छिपी सच्चाई यह है कि हर हादसा किसी परिवार की खुशियां छीन लेता है। अपनों को खोने वाले परिजन आज भी उस दर्द से गुजर रहे हैं, जिसकी भरपाई किसी भी आंकड़े से संभव नहीं है। कई परिवारों के लिए सडक़ हादसे एक ऐसी त्रासदी बन गए हैं, जो जीवन भर का खालीपन छोड़ जाते हैं।
जिले में जनवरी से नवंबर तक सडक़ दुर्घटनाओं की स्थिति
वर्ष 2023
दुर्घटनाएं-763
मौतें - 260
घायल - 794
वर्ष 2024
दुर्घटनाएं-898
मौतें - 257
घायल - 1165
वर्ष 2025
दुर्घटनाएं- 784
मौतें - 244
घायल - 998
सडक़ दुर्घटनाओं से बचाव के प्रमुख उपाय
तेज रफ्तार से वाहन न चलाएं
खराब सडक़ों पर सावधानीपूर्वक वाहन चलाएं
नशे की हालत में वाहन चलाने से पूरी तरह बचें
हेलमेट -सीट बेल्ट का उपयोग करें
ओवरटेक करते समय यातायात नियमों का पालन करें
वाहन की लाइट और रिफ्लेक्टर दुरुस्त रखें
वाहन चलाते समय मोबाइल से दूरी रखें
ज़ेब्रा क्रॉसिंग और संकेतकों का सम्मान करें
अस्वस्थता की स्थिति में वाहन चलाने से बचें


वर्जन
बीते सालों के मुकाबले सडक़ दुर्घटनाओं में कमी तो आ रही है। लेकिन दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा जरूरी जनता का जागरूक होना है। सडक़ सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ अन्य विभागों के भी समन्वित प्रयास रहें। स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम अधिक करने का ध्येय यही रहता है कि बच्चे जागरूक बनें और वह परिजनों को भी नियमों की जानकारी दें। दुर्घटनाएं रोकने पुलिस निरंतर कार्य कर रही है।
डॉ. ऋषिकेश मीना, एसपी नरसिंहपुर