
jaggery industry,
Panchayat tax tightens its grip on the jaggery industry
गन्ना सीजन आते ही जिले के गांवों में धधकने वाली गुड़ भट्टियां केवल मिठास ही नहीं, बल्कि हजारों किसानों और मजदूरों के घरों में रोजग़ार की लौ भी जलाती हैं। लेकिन इस बार गुड़ की खुशबू के साथ पंचायत टैक्स की तल्खी भी जुड़ गई है। तीन साल में 2 हजार से बढकऱ 5 हजार रुपए तक पहुंचे पंचायत टैक्स ने गुड़ भट्टी संचालकों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि टैक्स तो बढ़ा लेकिन बदले में पंचायत से मिलने वाली सुविधाएं आज भी कागजों तक सीमित हैं।
करेली के नजदीकी ग्राम करपगांव में गुड़ भट्टी चलाने वाले किसान प्रतीक शर्मा बताते हैं कि वे साल में सिर्फ चार महीने ही भट्टी चला पाते हैं। गन्ने के दाम, मजदूरी और ईंधन पहले ही महंगे हो चुके हैं। अब पंचायत टैक्स 5 हजार कर दिया गया है। टैक्स तो भर देंगे, लेकिन गांव की सडक़ आज भी कच्ची है। खेत से भट्टी तक गन्ना ढोना मुश्किल हो जाता है, न बिजली की नियमित व्यवस्था है और न ही पानी निकासी की सुविधा। वे कहते हैं। अन्य किसान रामस्वरूप का सवाल है कि जब पंचायत टैक्स ले रही है, तो गुड़ उद्योग से जुड़े गांवों में बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं दी जा रहीं।
इसी तरह ठेमी क्षेत्र के किसान एवं गुड़ भट्टी संचालक रामजी गुमास्ता का कहना है कि पंचायत टैक्स के नाम पर हर साल दबाव बढ़ता जा रहा है। भट्टी से निकलने वाला धुआं और अवशेष साफ रखने की जिम्मेदारी हमारी ही है। पंचायत की ओर से न तो कचरा प्रबंधन की व्यवस्था है, न अग्निशमन जैसी कोई सुविधा। मुराछ के विमलेश पटेल,लक्ष्मन सिंह लोधी नयागांव का कहना है कि बिजली कटौती के कारण कई बार भट्टी आधी रात तक चलानी पड़ती है। लेकिन इसके बावजूद टैक्स वसूला जा रहा है।
जिला पंचायत के आदेश के तहत अब हर गुड़ भट्टी से 5 हजार रुपए वार्षिक पंचायत टैक्स लिया जाएगा और टैक्स जमा होने के बाद ही एनओसी जारी की जाएगी। जिले में गन्ना सीजन के दौरान 3 से 4 हजार गुड़ भट्टियां संचालित होती हैं, जिनसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चार महीने तक गति मिलती है। लेकिन किसानों का कहना है कि टैक्स के बदले न तो सडक़, न बिजली, न सुरक्षा और न ही प्रदूषण नियंत्रण जैसी कोई ठोस सुविधा मिल रही है।
किसान संगठनों का तर्क है कि यदि पंचायतें वास्तव में टैक्स को विकास से जोडऩा चाहती हैं तो गुड़ भट्टी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जाए। वहीं प्रशासन का कहना है कि पंचायत टैक्स से विकास कार्यों को गति मिलेगी। अब देखना यह है कि टैक्स की यह बढ़ी हुई राशि गांवों में सुविधाओं की मिठास घोल पाती है या फि र गुड़ उद्योग पर बोझ बनकर रह जाती है।
भारतीय किसान यूनियन टिकैत नरसिंहपुर इकाई द्वारा किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर कार्यालय नरसिंहपुर में सौंपा गया। ज्ञापन में गन्ने के उचित दाम, गुड़ खरीदी, बिजली व्यवस्था तथा यूरिया खाद की उपलब्धता को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।ज्ञापन में किसान यूनियन ने मंडी शुल्क को लेकर भी आपत्ति जताई है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि गुड़ भटिटयों से 5000 रुपए पंचायत द्वारा लेने का आदेश जिला पंचायत नरसिंहपुर ने दिया है, जो किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रहा है। किसानों का कहना है कि पहले ही लागत बढ़ चुकी है। ऐसे में यह शुल्क उनके लिए भारी पड़ रहा है। इसके अलावा बिजली व्यवस्था को लेकर भी नाराजगी जताई गई है। किसानों ने कहा कि सिंचाई के मौसम में बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण खेतों में समय पर काम नहीं हो पा रहा है। साथ ही यूरिया खाद की मांग के अनुरूप उपलब्धता नहीं होने से फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है। भारतीय किसान यूनियन ने शासन से मांग की है कि इन सभी समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाए ताकि किसानों को राहत मिल सके।
Updated on:
23 Dec 2025 03:46 pm
Published on:
23 Dec 2025 03:45 pm
बड़ी खबरें
View Allनरसिंहपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
