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Hate Speech : घृणा फैलाने वाला भाषण देने पर 10 साल की होगी जेल, कर्नाटक में पेश हुआ बिल

Hate Speech: विधानसभा में कर्नाटक घृणास्पद भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक, 2025 पेश किया गया। इसके तहत दोषी पाए जाने पर दो से 10 वर्ष तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। जानिए इस बिल की खास बातें।

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कर्नाटक विधानसभा (Photo: IANS)

Hate Speech and Hate Crimes (Prevention) Bill: शीतकालीन सत्र (Winter Session) में कर्नाटक घृणास्पद भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक, 2025 (Karnataka Hate Speech and Hate Crimes (Prevention) Bill, 2025) पेश किया गया है।

कर्नाटक विधानसभा (Karnataka Assembly) में पेश किए गए इस बिल के तहत राज्य भर में घृणास्पद भाषण और घृणा से प्रेरित अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एक व्यापक स्वतंत्र कानून का प्रस्ताव किया गया है।

भड़काऊ बयानों पर नियंत्रण लगाना उद्देश्य

इस विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक रूप से भड़काऊ बयानों पर नियंत्रण लगाना है। घृणा फैलाने के मामले में दोषी पाए जाने वाले को कठोर कारावास और जुर्माना लगाए जाने की वकालत की गई है। इस बिल को विधानसभा में पेश करने के पीछे नफरत फैलाने वाली ऑनलाइन सामग्री पर रोक लगाना है।

कर्नाटक विधानसभा में पेश किए गए इस विधेयक में घृणास्पद भाषण को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है। इसमें किसी व्यक्ति (जीवित या मृत), समूह, वर्ग या समुदाय के खिलाफ पूर्वग्रह के आधार पर चोट लगने वाली बात या घृणा उत्पन्न करने के उद्देश्य से की गई कोई भी मौखिक, लिखित, दृश्य या इलेक्ट्रॉनिक अभिव्यक्ति शामिल हैं। इसमें धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, यौन अभिविन्यास, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा, विकलांगता या जनजाति के आधार पर होने वाला पूर्वाग्रह शामिल हैं।

10 वर्ष तक की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना

घृणास्पद भाषण तैयार करने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने, बढ़ावा देने, प्रचार करने या उसमें सहायता करने के लिए 'घृणा अपराध' नामक एक नया अपराध शुरू किया गया है। प्रस्तावित दंडों में पहली बार अपराध करने वालों के लिए एक से सात वर्ष तक की कैद और 50,000 रुपये का जुर्माना, वहीं बार-बार अपराध करने वालों के लिए दो से दस वर्ष तक की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना शामिल है।

इसके तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती

इस विधेयक के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय हैं। इस विधेयक के तहत अदालतें पीड़ितों को हुए नुकसान के आधार पर मुआवजा दे सकती हैं।

इन्हें मिलेगी हल्की छूट

इस विधेयक में सार्वजनिक हित, शिक्षा, विज्ञान, साहित्य, कला, विरासत या धार्मिक उद्देश्यों के लिए सद्भावनापूर्वक प्रकाशित सामग्री के लिए सीमित छूट शामिल है, बशर्ते कि वह घृणा को बढ़ावा देनी वाली ना हो।

संगठन अपराध में शामिल हो तो उनके जिम्मेदार पकड़े जाएंगे

यदि कोई संगठन इसमें शामिल है, तो उस समय उसके संचालन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, जब तक कि वे जानकारी की कमी साबित न कर दें।

Published on:
10 Dec 2025 05:15 pm
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