नई शिक्षा नीति के तहत, ब्रिटेन की साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी ने गुरुग्राम में अपना पहला कैंपस खोला है। इससे भारतीय विद्यार्थी कम खर्च में विदेशी विश्वविद्यालयों से पढ़ाई कर पाएंगे। यह भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम है और छात्रों के लिए नए अवसर प्रदान करेगा
देश में बहुत से विद्यार्थी ज्यादा खर्च के कारण विदेशी विश्वविद्यालयों से पढ़ाई करने का सपना पूरा नहीं कर पाते। अब वे देश में रहकर कम खर्च में ही ऐसा कर पाएंगे। नई शिक्षा नीति से यह संभव होने जा रहा है। ब्रिटेन के साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी ने बुधवार को गुरुग्राम में ऐसे पहले कैंपस का उद्घाटन किया। भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य में इसे एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटिंग, कानून, व्यवसाय इत्यादि में डिग्री प्रदान की जाएगी। उम्मीद है कि इसमें प्रतिवर्ष 5,500 छात्र नामांकन लेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार, 2027 तक भारत में 15 विदेश विश्वविद्यालयों के कैंपस स्थापित हो सकते हैं। अनुमान है कि यहां उनकी ट्यूशन फीस अमरीकी कैंपस की तुलना में 25-40 फीसदी कम होगी।
यूजीसी के नए नियमों के तहत शीर्ष 500 वैश्विक संस्थानों को भारत में पूर्ण स्वायत्त परिसर स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें उनके अपने प्रवेश मानदंड, शुल्क संरचना और डिग्री मान्यता होगी। इससे भारतीयों को कम लागत में विश्व स्तरीय शिक्षा मिलेगी। अनुमान है कि विदेश जाने वाला एक भारतीय शिक्षा पर औसतन 60 हजार डॉलर खर्च करता है।
1- इलिनॉय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अमरीका) 2026 तक मुंबई में अपना कैंपस खोलेगा, जहां स्टेम और बिजनेस प्रोग्राम उपलब्ध होंगे। ऐसा करने वाला यह पहला अमरीकी विश्वविद्यालय होगा।
2- लिवरपूल विश्वविद्यालय, एबरडीन और यॉर्क (ब्रिटेन) और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय को 2026 के अंत तक अपने परिसर खोलने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट मिल चुका है।
3- इस्टीटूटो यूरोपियो डी डिजाइन (इटली) मुंबई में अपना कैंपस खोल रहा है, जो अपने यूरोपीय कैंपस की तुलना में 25-30 फीसदी कम खर्च पर फैशन, उत्पाद और विजुअल डिजाइन की डिग्री प्रदान करेगा।
50 फीसदी से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम
उच्च शिक्षा का 2030 तक 300 अरब डॉलर को पार करने का अनुमान
वर्तमान में केवल 30 फीसदी कॉलेज-आयु वर्ग के युवा ही नामांकित
वर्ष 2024 में 13 लाख से ज्यादा पढ़ाई के लिए विदेश गए।
विदेश जानेवालों में 65 फीसदी से ज्यादा अमरीका-कनाडा गए।