Waqf Act 2025: वक्फ कानून के खिलाफ आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में AIMPLB वक्फ बचाओ सम्मेलन आयोजित कर रहा है। मुस्लिम संगठनों ने कहा कि वक्फ की सुरक्षा की लड़ाई हमारे अस्तित्व की लड़ाई, दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं।
Waqf Act 2025: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में मंगलवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की अगुवाई में आयोजित वक्फ बचाओ सम्मेलन में वक्फ कानून 2025 के खिलाफ देशभर के मुस्लिम संगठनों ने एकजुटता दिखाई। सम्मेलन में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को मुस्लिम समाज के अस्तित्व से जोड़ते हुए इसे धर्म में सीधी दखलअंदाजी करार दिया गया।
AIMPLB महासचिव मौलाना फजलुर रहमान मुज़द्दी ने सम्मेलन में कहा, हमने इस सरजमीं को अपने खून से सींचा है और आज उसी ज़मीन पर हमसे हमारी मस्जिदें, कब्रिस्तान और दरगाहें छीनी जा रही हैं। उन्होंने वक्फ कानून को लोकतंत्र और सेक्युलरिज्म पर हमला बताया और कानून को वापस लेने की मांग की।
सम्मेलन में AIMPLB अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी, असदुद्दीन ओवैसी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रमुख सैयद सदतुल्लाह हुसैनी, शिया धर्मगुरु कल्ब-ए-जवाद और अजमेर दरगाह के सज्जादानशीन सरवर चिश्ती समेत कई प्रमुख मुस्लिम नेता और धर्मगुरु शामिल हुए। सभा में ‘वक्फ कानून वापस लो’ जैसे नारे गूंजते रहे।
एसडीपीआई नेता मोहम्मद शफी ने सत्तारूढ़ नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, नीतीश और नायडू नए सावरकर बन रहे हैं। वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य रफीउद्दीन अशरफीन ने ऐलान किया, हमने सर पर कफन बांध लिया है, अगर ज़रूरत पड़ी तो जान भी देंगे, लेकिन वक्फ कानून को नहीं मानेंगे।
मौलाना अरशद मदनी ने इसे मुसलमानों की शरीयत में दखल बताते हुए कहा, वक्फ की सुरक्षा की लड़ाई हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। मुसलमान शरीयत में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने वक्फ कानून 2025 को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि अगर संविधान को बचाना है तो इस कानून को खत्म करना ही होगा।
पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा, अब जब दीन का मामला आया है, तो हम खामोश नहीं रहेंगे। हमने अब तक सब सहा, लेकिन अब वक़्फ की हिफाज़त के लिए एकजुट होना होगा।
इसी बीच तबलीगी जमात के मौलाना साद ने हरियाणा के नूंह में जलसे के दौरान कहा कि इस्लाम बगावत की इजाज़त नहीं देता और भारत में कानूनों का पालन हर मुस्लिम का कर्तव्य है। उन्होंने नमाज़ और इस्लामी शिक्षा पर जोर दिया, साथ ही मुस्लिम समाज से समाजिक सुधार की अपील की।
अब सभी की नजर 5 मई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर है, जहां इस कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जोड़कर देख रहे हैं।