राज्यसभा में मतदान के बाद सभापति ने दो सांसदों- डोला सेन और सुब्रता बनर्जी का मत निरस्त कर दिया।
वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी मंजूरी मिल गई है। हालांकि, इस प्रक्रिया में दो सांसदों के वोट को लेकर विवाद खड़ा हो गया। सभापति जगदीप धनखड़ ने तड़के चार बजे के बाद सदन को सूचित किया कि विधेयक पर मतविभाजन में शुरू में पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट दर्ज किए गए थे। लेकिन जब सभी पर्चियों और इलेक्ट्रॉनिक मतों का मिलान किया गया, तो पता चला कि दो सांसदों- डोला सेन और सुब्रता बनर्जी ने अपनी निर्धारित सीटों से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से मतदान नहीं किया था।
डोला सेन अपनी सीट नंबर 151 पर और सुब्रता बनर्जी सीट नंबर 133 पर मौजूद नहीं थे, जिसके कारण नियमों के तहत उनके वोट निरस्त कर दिए गए। नतीजतन, विपक्ष के 95 मतों में से 2 वोट घटाकर कुल 93 मत ही मान्य हुए। ये दोनों सांसद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से हैं, जिसने इस विधेयक के विरोध में मतदान किया था।
वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 पर राज्यसभा में मतदान के दौरान बीजू जनता दल (बीजेडी) ने स्पष्ट रूप से किसी एक पक्ष के साथ मतदान नहीं किया। बीजेडी ने अपने सांसदों को पार्टी व्हिप जारी नहीं किया और उन्हें अपनी अंतरात्मा के अनुसार वोट देने की छूट दी। इसका मतलब है कि बीजेडी के सांसदों ने व्यक्तिगत विवेक के आधार पर मतदान किया, न कि एकजुट होकर किसी खास पक्ष (पक्ष या विपक्ष) के साथ।
हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि बीजेडी ने शुरू में इस विधेयक का विरोध करने की बात कही थी, लेकिन बाद में अपनी स्थिति में बदलाव करते हुए तटस्थ रुख अपनाया। राज्यसभा में विधेयक 128-95 वोटों से पारित हुआ, जिसमें बीजेडी के सात सांसदों के वोट शामिल थे। उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह स्पष्ट नहीं है कि इन सांसदों ने व्यक्तिगत रूप से पक्ष में या विपक्ष में वोट दिया, क्योंकि पार्टी ने कोई आधिकारिक रुख घोषित नहीं किया था। इसलिए, बीजेडी का मतदान एक समूह के रूप में न तो पूरी तरह पक्ष में था और न ही पूरी तरह विपक्ष में, बल्कि यह उनके सांसदों के व्यक्तिगत निर्णयों पर निर्भर था।
इस तरह, लंबी बहस और मतदान प्रक्रिया के बाद वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पारित हो गया, लेकिन दो वोटों के निरस्त होने ने चर्चा को और गर्म कर दिया।