Arun Gawli Release: अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली को 18 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर नागपुर जेल से रिहा कर दिया गया।
Arun Gawli Release 2025: अंडरवर्ल्ड डॉन व पूर्व विधायक अरुण गवली (Arun Gawli Release 2025) 18 साल बाद जेल से बाहर आ गया (Supreme Court Bail News) है। अरुण गवली को 2007 में गिरफ्तार किया गया था। इतने बरसों में बहुत कुछ बदल चुका है। उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार थी और विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री थे। उस दौर में मुंबई की सड़कों पर अंडरवर्ल्ड की दहशत अब भी बाकी थी, भले ही उसका प्रभाव कम हो रहा था। अरुण गवली को 2007 में मुंबई से ही गिरफ्तार किया गया था। उस पर आरोप था कि उसने अपने गुर्गों के जरिये शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या (Shiv Sena Murder Case) करवाई थी। यह हत्या राजनीतिक रंजिश का परिणाम मानी गई थी। सन 2012 में कोर्ट ने गवली को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उसे नागपुर सेंट्रल जेल भेजा गया।
2007 में जहां महाराष्ट्र की सत्ता कांग्रेस के पास थी, वहीं अब 2025 में भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) मिलकर सरकार चला रहे हैं। तब राजनीति में अपराधियों की एंट्री को लेकर आवाजें उठती थीं, अब भी विधायक, पार्षद और नेताओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है।
ध्यान रहे कि सलमान खान के करीबी और पूर्व विधायक बाबा ज़ियाउद्दीन (बाबा) सिद्दीकी की भी 12 अक्टूबर 2024 को हत्या हुई थी। उन्हें उस रात मुंबई के बांद्रा स्थित उनके बेटे ज़ीशान सिद्दीकी के कार्यालय के बाहर गोली मार दी गई, जहाँ पर वे कार्यालय से बाहर निकल रहे थे।
गवली भले ही सुधरने की बात कर रहा हो, लेकिन उसकी रिहाई के साथ ही अपराध की दुनिया में हलचल तेज हो गई है। कुछ जानकारों का मानना है कि उसकी छवि और प्रभाव अब भी उसके पुराने नेटवर्क पर असर डाल सकता है।
गवली के समर्थक कह रहे हैं कि वह अब शांत जीवन जीना चाहते हैं, लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उनकी रिहाई से भायखला और आसपास के क्षेत्रों में राजनीति का समीकरण फिर से बदल सकता है।
गवली की रिहाई के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह फिर से राजनीति में कदम रखेगा या शांत जीवन जीने की कोशिश करेगा। महाराष्ट्र में इस खबर के बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
अरुण गवली की रिहाई पर महाराष्ट्र की राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए इसे "कानूनी प्रक्रिया की जीत" बताया है, वहीं कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इस पर चिंता जताई है कि क्या ऐसे मामलों में जमानत समाज को गलत संदेश देती है?
क्या अरुण गवली अब राजनीतिक वापसी की तैयारी कर रहे हैं?
क्या गवली की रिहाई के बाद पुराना गिरोह या नेटवर्क दोबारा सक्रिय हो सकता है?
क्या महाराष्ट्र की पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियां अब उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखेंगी?
जानकारी के अनुसार, नागपुर सेंट्रल जेल में रहते हुए गवली ने धार्मिक गतिविधियों और अनुशासित जीवन को अपनाया। जेल में रहते हुए उन्होंने एकनाथी भागवत और अन्य ग्रंथों का अध्ययन किया, और स्वास्थ्य को लेकर सख्ती से नियमों का पालन किया। जेल स्टाफ के अनुसार, गवली ने कई कैदियों के जीवन में भी सुधार लाने में मदद की।