पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के बाद घुसपैठियों में खौफ है। मंगलवार को उत्तर 24 परगना जिले के स्वरूपनगर के पास हाकिमपुर चेक पोस्ट से करीब 500 बांग्लादेशी अपने देश लौट गए।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के बाद पहचान छुपाकर देश में रह रहे घुसपैठियों में खौफ है। अब पश्चिम बंगाल से इनके लौटने का सिलसिला जारी है।
मंगलवार को उत्तर 24 परगना जिले के स्वरूपनगर के पास हाकिमपुर चेक पोस्ट से करीब 500 बांग्लादेशी अपने देश लौट गए। संदेह होने पर बीएसएफ के अधिकारियों ने हिरासत में लेकर इनसे पूछताछ की।
अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ में इन 500 लोगों ने स्वीकार कर लिया कि वे अवैध रूप से भारत में घुसे थे। उनके पास वीजा, पासपोर्ट या पहचान पत्र नहीं है।
इनमें कुछ लोगों ने बताया कि वे पश्चिम बंगाल के बिराती, मध्यमग्राम, राजरहाट, न्यू टाउन और साल्ट लेक जैसे इलाकों में घरेलू सहायक, दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे थे।
बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में अपने देश लौट रहे 100 बांग्लादेशियों में एक ने बताया कि वह पिछले एक दशक से यहां किराए पर रहकर घरेलू सहायक का काम कर रहा था, लेकिन एसआइआर की प्रक्रिया ने उसकी मुश्किल बढ़ा दी। अब वह बांग्लादेश लौटना चाहता है।
अवैध बांग्लादेशियों के वापस लौटने वालों की जांच के लिए बीएसएफ और राज्य पुलिस की जिम्मेदारी और बढ़ गई। हर पकड़े गए व्यक्ति की बायोमेट्रिक जांच और दोनों देशों के रिकॉर्ड के आधार पर आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच करनी होती है।
बायोमेट्रिक विवरण डेटा रिपॉजिटरी से मिलाए जाते हैं और रेड फ्लैग होने पर पुलिस को दखल देना होता है। एक अधिकारी ने कहा, अगर कोई आपराधिक पहलू सामने आता है तो उन्हें राज्य पुलिस को सौंप दिया जाता है।
बीएसएफ अधिकारी ने कहा कि लगभग सभी सीमा पार करने की कोशिश करने वालों के पास वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज नहीं होते। वही लोग अवैध तरीके से पार करने की कोशिश करते हैं, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं होता।
कई लोग वर्षों पहले रोजगार के लिए आए थे, ज्यादा रुके और अब एसआइआर या पुलिस सत्यापन से डर रहे हैं। यह नहीं मान सकते कि अवैध रूप से सीमा पार करने वाला हर व्यक्ति केवल मजदूर है। वह यहां अपराध करके भाग रहा हो सकता है या कोई कट्टरपंथी या आतंकी तत्व भी हो सकता है।