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Health Insurance में बड़े बदलाव! कैशलेस ट्रीटमेंट को मिलेगी एक घंटे में मंजूरी

केंद्र सरकार स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के लिए कैशलेस स्वीकृति 1 घंटे में और अंतिम दावा निपटान 3 घंटे में अनिवार्य करने की योजना बना रही है।

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Apr 18, 2025

Health Insurance new Changes: स्वास्थ्य बीमा दावों और कैशलेस मंजूरी में देरी से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों को जल्द इससे राहत मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के लिए कैशलेस मंजूरी अनुरोध को एक घंटे के भीतर और अंतिम दावा निपटान को 3 घंटे के भीतर अनिवार्य करने की योजना बना रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीमा क्षेत्र के लिए भारतीय मानक ब्यूरो जैसे मानकों को लागू करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि बीमा उद्योग के संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके।

कई मामलों में 100% दावे खारिज किए

इरडा ने वर्ष 2024 में ही बीमा दावों के तुरंत निपटारे के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन दावों की बढ़ती संख्या के कारण बीमा कंपनियां इन नियमों का पालन करने में विफल रही हैं। अधिकारी ने कहा कि कई मामलों में बीमा कंपनियों ने 100% कैशलेस दावों को खारिज या अस्वीकार किया है। यदि नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और निपटान प्रक्रिया को मानकीकृत किया जाए तो लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों पर भरोसा वापस आएगा।

क्या है तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज (एनएचसीएक्स) के माध्यम से बीमा दावा स्वीकृति और निपटान प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और इरडा के साथ मिलकर नए दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। एनएचसीएक्स एक डिजिटल मंच है। जुलाई 2024 तक 34 बीमा कंपनियां और तृतीय-पक्ष प्रशासक (टीपीए) इस मंच पर सक्रिय थे। इसके साथ ही लगभग 300 अस्पताल इसमें शामिल होने की प्रक्रिया में हैं।

सभी अस्पतालों में एक जैसा फॉर्म होगा

इसके अलावा, बीमा दावे और आवेदन पत्रों को सरल और समझने योग्य बनाने के लिए एक पेशेवर एजेंसी की मदद से मानकीकृत प्रारूप तैयार करने की भी योजना है। यानी सभी अस्पतालों में एक जैसा फॉर्म होगा। इससे बीमाकर्ता समय पर और पूरी राशि का भुगतान कर सकेंगे।

ये हैं चुनौतियां

बीमा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने जमीनी चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया है। इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा, नियम बनाना एक बात है, लेकिन उसे लागू करना अलग चुनौती है। बीमाकर्ता, टीपीए और अस्पतालों के बीच समन्वय जरूरी है, तभी समय पर निपटान संभव हो पाएगा। सुझाव दिया कि सर्जरी की दरें और डिस्चार्ज दस्तावेज अगर पूरे देश में एक जैसे हों, तो दावा प्रक्रिया और तेज हो सकती है।

Published on:
18 Apr 2025 11:52 am
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