Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के एम-3 संस्करण का उपयोग किया जाएगा। आइए जानते है क्या है खासियत।
Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। इस बार चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के एम-3 संस्करण का उपयोग किया जाएगा, जो अपनी उन्नत तकनीक और सुरक्षा विशेषताओं के लिए जाना जाता है। भारत निर्वाचन आयोग ने इस मशीन को बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रक्रिया को और पारदर्शी व सुरक्षित बनाने के लिए चुना है। आइए, जानते हैं एम-3 ईवीएम की खासियतें और यह चुनाव में कैसे अहम भूमिका निभाएगी।
उन्नत छेड़छाड़-रोधी तकनीक
एम-3 ईवीएम में डिजिटल सत्यापन प्रणाली होती है, जो इसकी कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट के बीच सुरक्षित संपर्क सुनिश्चित करती है। अगर मशीन के साथ कोई छेड़छाड़ की कोशिश की जाती है, तो यह स्वतः निष्क्रिय हो जाती है। इसमें 100 मिलीसेकंड की भिन्नता को भी पकड़ने वाला एंटी-टैम्पर तंत्र है, जो इसे अत्यंत सुरक्षित बनाता है।
वीवीपीएटी के साथ एकीकरण
एम-3 ईवीएम में मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) प्रणाली होती है, जो मतदाताओं को उनके वोट की पुष्टि करने की सुविधा देती है। वोट डालने के बाद, वीवीपीएटी एक पेपर पर्ची जनरेट करता है, जिसे मतदाता 7 सेकंड तक देख सकता है। यह पारदर्शिता बढ़ाता है और मतदान प्रक्रिया में विश्वास को मजबूत करता है।
बैटरी और डिजाइन में सुधार
पुराने मॉडलों के विपरीत, एम-3 में बैटरी सेक्शन को कैंडिडेट सेक्शन से अलग किया गया है। इससे बैटरी खत्म होने पर मशीन को बदलने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे मतदान प्रक्रिया में देरी कम होती है। यह 6 वोल्ट की बैटरी से संचालित होती है और बिजली की अनुपस्थिति में भी प्रभावी ढंग से काम करती है।
अधिकतम 3840 वोट और 64 उम्मीदवार
एम-3 ईवीएम एक बार में अधिकतम 3840 वोट रिकॉर्ड कर सकती है और 64 उम्मीदवारों को सपोर्ट करती है। यह बड़े निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जहां उम्मीदवारों की संख्या अधिक होती है।
ईवीएम ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर
भारत निर्वाचन आयोग ने एम-3 ईवीएम को ट्रैक करने के लिए ईवीएम ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर (ईटीएस) लागू किया है। यह सॉफ्टवेयर मशीनों की वास्तविक समय में निगरानी करता है और उनके आवंटन को पारदर्शी बनाता है। मशीनों का दो चरणों में रैंडमाइजेशन किया जाता है, जिससे किसी भी तरह की हेराफेरी की संभावना खत्म हो जाती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एम-3 ईवीएम का उपयोग पहली बार 2020 में किया गया था, और इस बार भी इसे अपनाया जा रहा है। इसके पीछे मकसद मतदान प्रक्रिया को और सुरक्षित, त्वरित और विश्वसनीय बनाना है। बिहार जैसे बड़े राज्य में, जहां मतदाता संख्या करोड़ों में है, एम-3 ईवीएम की उन्नत तकनीक मतदान और मतगणना को सुचारू बनाने में मदद करेगी।
चुनाव आयोग ने एम-3 ईवीएम के उपयोग के लिए व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। 25 अभियंताओं की एक टीम लगभग एक माह तक मशीनों की जांच और रखरखाव का काम करेगी। इसके अलावा, मतदान अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि मतदान के दिन किसी भी तकनीकी समस्या से निपटा जा सके।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है, और इससे पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी। राजनीतिक दल भी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं, और एम-3 ईवीएम के उपयोग से इस बार मतदान प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता की उम्मीद है।