बिहार विधानसभा चुनाव के रुझानों में NDA की भारी बहुमत से सरकार बनने की संभावना है, जिसमें BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, और चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) ने 73% के संभावित स्ट्राइक रेट के साथ 21 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाकर चौंकाने वाला और बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम अब साफ होने लगे है। राज्य में एक बार फिर भारी बहुमत के साथ NDA की सरकार बनने जा रही है। NDA ने 200 सीटों पर बढ़त हासिल की है और BJP गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। BJP 95 सीटों पर आगे है तो वहीं JDU भी 84 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। NDA की इस क्लीन स्वीप के पीछे जहां पीएम मोदी और नीतीश कुमार को श्रेय दिया जा रहा है तो वहीं पीएम के हनुमान कहे जाने वाले चिराग पासवान भी इन चुनावों के असली स्टार मानें जा रहे है।
चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के इन चुनावों में प्रदर्शन ने सभी को चौंका दिया है। लोजपा ने उम्मीद से कई अधिक बेहतर प्रदर्शन किया और मुश्किल सीटों पर भी बढ़त बनाई है। लोकसभा चुनावों में 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट देने वाले चिराग ने विधानसभा चुनावों में भी काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। चिराग की पार्टी के 29 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिसमें से 21 सीटों पर वह आगे चल रहे है।
इन सीटों में सुगौली, गोविंदगंज, बेलसंड, बहादुरगंज, कसबा, बलरामपुर, सिमरी बख्तियारपुर, बोछाहा, दरौली, महुआ, बखरी, परबत्ता, नाथनगर, ब्रह्मपुर, चेनारी, डेहरी, ओबरा, शेरघाटी, बोधगया, राजौली और गोविंदपुर शामिल है। अगर लोजपा यह सभी सीटें जीतती है तो उसका स्ट्राइक रेट करीब 73 प्रतिशत रहेगा जो उसे एक मजबूत पार्टी के तौर पर पहचान दिलाएगा।
खास बात यह भी है कि चिराग को जो सीटें मिली वह काफी मुश्किल मानी जा रही थी। इसमें सिमरी बख्तियारपुर की सीट शामिल है जहां लोजपा पिछली बार तीसरे नंबर पर रही थी। दरौली सीट की बात की जाए तो वहां से भाजपा 2010 में आखिरी बार जीती थी। बेलसंड सीट भी पिछली बार आरजेडी के खाते में गई थी। बहादुरगंज सीट पर भी 2005 के बाद से कोई NDA उम्मीदवार नहीं जिता है। लोजपा को मिली कुछ सीटें ऐसी भी थी जहां से NDA कभी नहीं जीती है।
गठबंधन में अंदरूनी कलह और इन मुश्किलों के बावजूद चिराग और उनकी पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। पिछली बार एक सीट पर सिमटी चिराग की पार्टी इस बार 21--22 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। चिराग की पार्टी को मिलने वाले वोट का सबसे अधिक प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग का माना जाता है। रुझानों से साबित होता है कि चिराग अपना वोटबैंक बनाए रखने में कायम हुए है। युवा बिहारी नेता का रूप में चिराग का बिहार फर्स्ट का नारा हिट साबित हुआ और वह चुनावों के असली विनर बन कर उभरे।