केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जाति जनगणना को मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा।
केंद्र सरकार ने चौंकाते हुए जाति जनगणना कराने का बड़ा निर्णय किया है। मोदी कैबिनेट ने बुधवार को इस निर्णय पर मोहर लगाई। अब जनगणना और जाति जनगणना कार्य सितंबर से शुरू होने की उम्मीद की जा रही है। इस निर्णय से राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय है। वहीं, कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस निर्णय को अपनी जीत बताया है।
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े निर्णय किए गए। इसमें जाति जनगणना का सबसे अहम निर्णय शामिल है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जाति जनगणना को मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार सभी वर्गों के हितों के प्रतिबद्ध है। इसके पहले भी जब समाज के गरीब वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया समाज के किसी घटक में तनाव उत्पन्न नहीं हुआ था।
वैष्णव ने कहा कि जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। जहां कुछ राज्यों में यह कार्य सूचारू रूप से संपन्न हुआ है वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनीतिक कारणों से गैर-पारदर्शी सर्वे किया है। इस प्रकार के सर्वें से समाज में भ्रांति फैली है। यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारा सामाजिक ताना बाना राजनीति के दबाव में न आए, जातियों की गणना मूल जनगणना में ही सम्मिलित करने का निर्णय किया गया है।
जनगणना में करीब एक साल का समय लग सकता है। यदि यह कार्य सितंबर में शुरू होता है तो जनगणना और जाति जनगणना के आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक मिल सकेंगे। गौरतलब है कि 2011 के बाद जनगणना भी नहीं हो सकी है। 2021 की जनगणना कोविड के चलते लगातार टाली गई है।
वर्ष 2011 में तत्त्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौरान सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (एसईसीसी) करवाई गई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने करवाया था। हालांकि इस सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए।
बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले किया गया यह निर्णय सियासी रंग दिखा सकता है। कांग्रेस, राजद जैसे दल लंबे समय से जाति जणगणना की मांग करते हुए सरकार आने पर इसे कराने का नैरेटिव बना रहे थे। चुनाव से कुछ महीने पहले मोदी सरकार ने विपक्ष को मुद्दाहीन करने की कोशिश की है।
कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हम देश में जातिगत जनगणना के माध्यम से आरक्षण की सीमा बढ़ाकर एक नए तरीके का विकास लाना चाहते हैं। देश में ओबीसी, दलित या आदिवासी की भागीदारी की जानकारी सिर्फ जातिगत जनगणना से पता चलेगी, लेकिन हमें और आगे जाना है। हमें पता लगाना है कि देश की संस्थाओं और पावर स्ट्रक्चर में इन लोगों की कितनी भागीदारी है।