Census Of India: Census : कोविड-19 के कारण स्वतंत्र भारत के इतिहास में 2021 में पहली बार समय पर जनगणना नहीं हुई। यहां तक कि दूसरे विश्व युद्ध और चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भी जनगणना नहीं रुकी थी।
Census Of India: कोविड-19 के कारण स्वतंत्र भारत के इतिहास में 2021 में पहली बार समय पर जनगणना नहीं हुई। यहां तक कि दूसरे विश्व युद्ध और चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भी जनगणना नहीं रुकी थी। पिछली जनगणना 2011 में होने के 10 साल बाद 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड 19 महामारी (Covid 19) के कारण इसे आगे टालना पड़ा। बाद मे लोकसभा चुनाव की तैयारियों में मशीनरी उलझ गई तो तय हुआ कि चुनाव के बाद जनगणना करवाई जाएगी। अब 2025 में सरकार जनगणना कराने जा रही है।
भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के रूप में कार्यरत मृत्युंजय कुमार नारायण की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति अगस्त 2026 तक बढ़ा दी गई है। इससे साफ हो गया है कि उनके नेतृत्व में ही देश में जनगणना होगी। नारायण 1995 बैच के यूपी काडर के अधिकारी हैं।
पहले चरण में मकानों का सूचीकरण होगा। इसके बाद राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण पर कार्य आगे चलेगा। हर व्यक्ति को एक आईडी नंबर दिया जाएगा। इस नंबर से ही व्यक्ति का जनगणना में रेकॉर्ड दर्ज होगा।
जनगणना के दौरान परिवारों से 30 सवाल पूछे जाएंगे, इनमें मुख्य सवाल ये हैं-
- मुखिया का नाम, कुल सदस्यों की संख्या
-मुखिया किस समुदाय से है
-स्त्री-पुरुष की संख्या, दंपती के बच्चों की संख्या
- खुद का घर है या नही?
-कमरों की संख्या?
- घर में शौचालय
-घर में किस प्रकार का वाहन
- माेबाइल, टेबलेट, कंप्यूटर, रेडियो, टीवी आदि संचार साधन
- प्रमुख खाद्यान्न क्या है
- घर में इंटरनेट की सुविधा है या नहीं
जनगणना पर 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आने की संभावना है। 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8,754 करोड़ की लागत से 2021 की प्रस्तावित जनगणना और 3,941 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। चूंकि 2021 के बजाए अब 2025 में जनगणना होनी है, ऐसे में बढ़ी हुई महंगाई को देखते हुए खर्च पहले से ज्यादा खर्च होगा।