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परिसीमन पर केंद्र और तमिलनाडु के बीच खिंची तलवार, क्यों है जरूरी, क्या है इसका इतिहास और CM Stalin क्यों कर रहे विरोध?

Delimitation: परिसीमन को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित है वह दक्षिण भारत के राज्य के है। उनको चिंता है कि उनकी सीटें उत्तर भारत के मुकाबले कम अनुपात में बढ़ेंगी। हालांकि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दक्षिण भारत के राज्यों को विश्वास दिलाया कि नए परिसीमन में उनकी एक भी सीट कम नहीं होगी।

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Mar 05, 2025
तमिलनाडु CM स्टालिन परिसीमन का विरोध कर रहे हैं।

Delimitation: तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में परिसीमन को लेकर विरोध तेज हो गया है। सीएम स्टालिन लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर डीएमके नेता और सीएम अभी से ही केंद्र बनाम तमिलनाडु बना रहे हैं।

सीएम स्टालिन ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

बुधवार यानि 5 मार्च को तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने परिसीमन को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में सीएम ने कहा कि संसद में सीट की संख्या बढ़ाई जाती है तो 1971 की जनगणना को इसका आधार बनाया जाना चाहिए।

परिसीमन को लेकर दक्षिण भारत के राज्य चिंतित

दरअसल, परिसीमन को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित है वह दक्षिण भारत के राज्य के है। उनको चिंता है कि उनकी सीटें उत्तर भारत के मुकाबले कम अनुपात में बढ़ेंगी। हालांकि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दक्षिण भारत के राज्यों को विश्वास दिलाया कि नए परिसीमन में उनकी एक भी सीट कम नहीं होगी।

परिसीमन क्यों जरूरी?

परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसे हर जनगणना के बाद संसद में सीटों की संख्या और निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को नवीनतम जनसंख्या डेटा के आधार पर किया जा सके। इसके पीछे का मकसद सिर्फ यह है कि एक संसदीय सीट में लोगों की संख्या समान हो। संसदीय सीटों का जनगणना के आधार पर तीन बार परिसीमन हुआ है। यह 1951, 1961 और 1971 में हुआ। ।

दक्षिण भारत के राज्य क्यों चिंतित?

साउथ के राज्यों को लगता है कि नये जनसंख्या डेटा के आधार पर परिसीमन से संसद के अंदर उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा और इस तरह उनकी राजनीतिक ताकत भी कम हो जाएगी। सितंबर 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पर संसद में बहस के दौरान डीएमके नेता कनिमोझी ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का एक बयान पढ़ा था. इसमें कहा था कि यदि परिसीमन जनसंख्या जनगणना पर आधारित होने जा रहा है, तो यह दक्षिण भारतीय राज्यों के प्रतिनिधित्व को वंचित और कम कर देगा।

क्या कहता है डेटा?

देश में अभी तक जितनी बार भी परिसमीन हुआ है, उसमें सीट और आबादी का अनुपात लगभग न्यायपूर्ण ही रहा। 1961 में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य को 85 सीटें दी गई है। 1961 में यूपी में प्रति लोकसभा सीट पर आबादी का अनुपात करीब सवा आठ लाख था। वहीं बिहार में 53 सीटें थी और प्रति लोकसभा सीट पर आबादी का अनुपात साढ़े छह लाख से ज्यादा था। इसके अलावा तमिलनाडु में 39 सीटें थी और प्रति लोकसभा सीट पर आबादी का अनुपात 8 लाख 63 हजार था।

राज्य1961
आबादी
1961
सीटें
आबादी/ सीट अनुपात1971
आबादी
1971
सीटें
आबादी/सीट अनुपात
उत्तर प्रदेश7, 01,43, 635858,25,2198,38,48, 797859,86,456
बिहार3,48,40, 968536,57,3774,21,26,236547,80,115
राजस्थान2,01,55,602238,76,3312,57,65,8062510,30,632
तमिलनाडु3, 36,86,953398,63,7684,11,99,1683910,56,389
केरल1,69,03,715198,89,6692,13,47,3752010,67,369
देश43,92,34,7715208,44,68254,81,59,65254210,11,365
आबादी और सीट का अनुपात

पिछले पांच चुनावों में टॉप-2 पार्टियों का प्रदर्शन

राज्य20042009201420192024
यूपी (85)SP- 36
BSP- 19
SP-23
INC-26
BJP-76
SP-5
BJP-67
SP-10
BJP-38
SP-37
बिहार (53)RJD-24
JDU-7
JDU-20
BJP-20
BJP-32
LJP-6
BJP- 28
JDU- 16
BJP-20
JDU-12
राजस्थान (25)BJP-21
INC-4
INC-20
BJP-4
BJP-25BJP-24
RLP-1
BJP-14
INC-8
केरल (20)CPM-12
CPI-3
INC-13
CPM-4
INC-8
CPM-5
INC-15
IUML-2
INC-16
IUML-2
तमिलनाडु (39)DMK-16
INC-10
DMK-18
ADK- 9
ADK-37
BJP-1
DMK-24
INC-8
DMK-22
INC-9

2025 की संभावित आबादी पर परिसीमन कितना न्यायसंगत

राज्यवर्तमान सीटसंभावित आबादी 2025पुराने अनुपात पर15 लाख के अनुपात पर20 लाख के अनुपात पर
यूपी8525,23,42,000250168126
बिहार5417,08,90,00016911485
राजस्थान258,27,70,000825541
तमिलनाडु397,73,17,000765239
केरला203,60,63,000362418
भारत543141,33,24,0001397942707
Updated on:
05 Mar 2025 07:35 pm
Published on:
05 Mar 2025 03:07 pm
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