जयराम रमेश ने आरएसएस पर हमला बोला। उन्होंने कहा- संविधान लागू होने के चंद दिन बाद गांधी, अंबेडकर, पटेल, नेहरू के पुतले जलाए गए।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा- सरदार पटेल ने आरएसएस पर बैन लगाया था। सरदार पटेल ने गुरु गोलवलकर से क्या कहा था? आप एक गुप्त संस्था हैं। एक संस्था बनें। पारदर्शिता लाएं। छिपकर काम न करें। यह सरदार पटेल का पत्र है।
इसके अलावा, रमेश ने आरएसएस की विचारधारा पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने 26 नवंबर, 1949 को भारत के संविधान को अपनाने के चंद दिनों बाद रामलीला मैदान में अंबेडकर, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के पुतले जलाने की घटना को याद दिलाया।
रमेश ने पूछा- आखिर किस विचारधारा ने देश में ऐसा माहौल बनाया, जिसके कारण महात्मा गांधी की हत्या हुई? बता दें कि कोलकाता में 'RSS 100 व्याख्यान माला' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि आरएसएस ने हमेशा यह तर्क दिया है कि भारत एक 'हिंदू राष्ट्र' है, क्योंकि यहां की संस्कृति और बहुमत का जुड़ाव हिंदू धर्म से है।
भागवत ने कहा- 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द मूल रूप से संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा नहीं था, लेकिन इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान संविधान (42वें संशोधन) अधिनियम, 1976 द्वारा 'समाजवादी' शब्द के साथ जोड़ा गया था।
भागवत ने लोगों से संगठन के काम को समझने के लिए उसके कार्यालयों और 'शाखाओं' में जाने का भी आग्रह किया, ताकि संगठन के बारे में 'मुस्लिम विरोधी' होने की गलत धारणा को दूर किया जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि लोगों ने समझ लिया है कि यह संगठन हिंदुओं की सुरक्षा की वकालत करता है और वे 'कट्टर राष्ट्रवादी' हैं, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं हैं।
भागवत ने कहा- अगर ऐसी धारणा है कि हम मुस्लिम विरोधी हैं, तो जैसा कि मैंने कहा- आरएसएस का काम पारदर्शी है। आप कभी भी आकर खुद देख सकते हैं और अगर आपको ऐसा कुछ होता हुआ दिखे, तो आप अपनी राय रखें और अगर आपको ऐसा कुछ न दिखे तो आप अपनी राय बदल लें।
भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं की िस्थति पर चिंता जताते हुए कहा कि वहां हालात काफी कठिन हैं।अधिकतम सुरक्षा के लिए वहां के हिंदुओं को एकजुट रहना होगा।
दुनियाभर के हिंदुओं को अपनी सीमाओं के भीतर रहकर उनकी यथासंभव मदद करनी चाहिए। हिंदुओं के लिए एकमात्र देश भारत है, भारत सरकार को इस पर संज्ञान लेकर कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा। हो सकता है कुछ हो भी रहा लेकिन कभी नतीजे निकलते हैं, कभी नहीं।