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मोदी, ममता, नीतीश ने कैसे बचाई अपनी सरकार, क्या है इसके पीछे की मुख्य वजह?

भारत में मजबूत नेता-केंद्रित राजनीति और कल्याणकारी योजनाओं ने असंतोष को दूर करने में सफलता पाई है। इस कारण यहां वैश्विक रूझानों से इतर सरकारें दोबारा चुनी गईं।

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Dec 29, 2025
सत्ता समर्थित चुनावी लहर (फोटो-IANS)

आर्थिक तनाव और सामाजिक उथल-पुथल के कारण जहां वैश्विक स्तर पर 'सत्ता विरोधी' (एंटी-इनकॉम्बेंसी) लहर चल रही है, वहीं भारत में पिछले कुछ वर्षों से 'सत्ता समर्थकÓ (प्रो-इनकॉम्बेंसी) रुझान के कारण सरकारें लौट रही हैं। देश ने पिछले आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताया, वहीं विभिन्न राज्यों में भी 'सत्ता समर्थक' जनादेश आया। यह स्थिति आजादी के बाद हुए तीन चुनावों की झलक दे रहा है, जब 85 फीसदी सरकारें दोबारा चुनी गई थीं। यह 'सत्ता-समर्थक स्वर्णकाल' की वापसी जैसा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में मजबूत नेता-केंद्रित राजनीति और कल्याणकारी योजनाओं ने असंतोष को दूर करने में सफलता पाई है। बिहार से लेकर गुजरात तक के चुनावी नतीजे यह साफ करते हैं कि भारतीय मतदाता अब केवल बदलाव के लिए वोट नहीं देता, बल्कि यदि उसे विकास और सुरक्षा की गारंटी मिले, तो वह दशकों पुराने नेतृत्व पर भी भरोसा जताने को तैयार है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 10वीं बार शपथ लेना इसी का ताजा उदाहरण है। बिहार चुनाव ने न केवल राज्य की राजनीति को नई दिशा दी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर चल रही चुनावी प्रवृत्तियों को भी चुनौती दी है।

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सत्ता समर्थक रुझान क्यों?

1- कल्याणकारी योजनाएं: गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग को सीधे लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं ने वोटरों को जोड़े रखा।
2- बुनियादी ढांचा: सड़कों, पुलों और बिजली जैसे विकास कार्यों ने उच्च मध्यम वर्ग को आकर्षित किया।
3- मजबूत नेतृत्व और 'डबल इंजनÓ: केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार का नारा भरोसे का प्रतीक बना।
4- व्यक्तिगत विश्वसनीयता: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत उनकी व्यक्तिगत छवि का परिणाम है।

भारतीय चुनावों का बदलता इतिहास (1952-2025)

दौररुझानमुख्य विशेषता
1952-1966सत्ता समर्थक85% सरकारें दोबारा चुनी गईं
1989-1998सत्ता विरोधी71% मौजूदा सरकारें चुनाव हार गईं
2004-2015मिला-जुला55% सरकारें वापसी करने में सफल रहीं
2016-2018सत्ता विरोधी75% सत्ताधारी दलों को हार का सामना करना पड़ा
वर्तमान दौर (2019-2025)सत्ता समर्थकएक बार फिर सरकारों की वापसी का दौर शुरू हुआ है

दुनिया में आर्थिक असंतोष से बदलाव की बयार

देशचुनावी सालसत्ताधारी दल/गठबंधनपरिणामसंक्षिप्त विश्लेषण
अमेरिका2024डेमोक्रेटिक पार्टी (कमला हैरिस)पराजितराजनीतिक-आर्थिक स्थिति से असंतोष, महंगाई और अर्थव्यवस्था मुख्य मुद्दे
ब्रिटेन2024कंजर्वेटिव पार्टीपराजित14 साल में आर्थिक-राजनीतिक ठहराव और जीवनयापन की बढ़ती लागत
जापान2024लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP)-कोमेइतो गठबंधनबहुमत खोयाआर्थिक ठहराव, महंगाई और भ्रष्टाचार घोटाले पर लंबा असंतोष
दक्षिण अफ्रीका2024अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC)बहुमत खोया30 साल में पहली बार बहुमत से दूर, बेरोजगारी, गरीबी और आर्थिक असमानता
सेनेगल2024अलायंस फॉर द रिपब्लिक (रूलिंग कोएलिशन, अमादू बा)पराजितनई पीढ़ी की नाराजगी, बेरोजगारी और बदलाव की चाह

देश में कल्याणकारी पैकेजों ने निकाला रास्ता

राज्यचुनावी सालसत्ताधारी दल/गठबंधनपरिणामसंक्षिप्त विश्लेषण
बिहार2025जेडीयू-भाजपासत्ता में लौटीस्थिरता और कल्याणकारी नैरेटिव पर भरोसा
हरियाणा2024भाजपासत्ता में लौटीविकास व कानून-व्यवस्था को समर्थन
मध्यप्रदेश2023भाजपासत्ता में लौटीनेतृत्व व कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा
त्रिपुरा2023भाजपा नीत एनडीएसत्ता में लौटीबेहतर तैयारी ने विरोध की हवा निकाल दी
गुजरात2022भाजपासत्ता में लौटीभाजपा का प्रभुत्व व नेता केंद्रित अभियान
केरल2021सीपीएम (LDF)सत्ता में लौटीशिक्षा-स्वास्थ्य संबंधी नीतियों पर भरोसा
पश्चिम बंगाल2021टीएमसी (TMC)सत्ता में लौटीममता बनर्जी की लोकप्रियता व कल्याण पैकेज
Updated on:
29 Dec 2025 07:30 am
Published on:
29 Dec 2025 07:20 am
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