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West Bengal SIR: पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर आ गई नई जानकारी, चुनाव आयोग ने दिया बड़ा अपडेट

पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारी जोरों पर है। चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त अंतिम समीक्षा के लिए अगले हफ़्ते कोलकाता जाएंगे। ममता सरकार के विरोध के बावजूद अक्टूबर में एसआईआर शुरू होने की उम्मीद है। आधार कार्ड को मान्य पहचान पत्र मानने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बीच राजनीतिक दलों में तीखी बहस जारी है।

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Sep 13, 2025
वोटर लिस्ट। फोटो- IANS

बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर तैयारी तेज हो गई है। उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती पश्चिम बंगाल में एसआईआर (West Bengal SIR) के लिए भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की तैयारियों की अंतिम समीक्षा करने के लिए अगले सप्ताह कोलकाता जायेंगे।

पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है। उप चुनाव आयुक्त पश्चिम बंगाल में कुछ चुनिंदा जिलों का दौरा कर सकते हैं। वह मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों और जिला मजिस्ट्रेटों के साथ बैठक भी कर सकते हैं।

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ममता सरकार से चल रही तनातनी के बीच उप चुनाव आयुक्त का दौरा

उप चुनाव आयुक्त का यह दौरा चुनाव आयोग और सीएम ममता बनर्जी सरकार के बीच एसआईआर प्रक्रिया को लेकर चल रही तनातनी के बीच हो रहा है।

इस सप्ताह की शुरुआत में, आयोग ने राज्य में एसआईआर के लिए स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेजों में स्वास्थ्य साथी और राशन (पीडीएस) कार्ड को शामिल करने के पश्चिम बंगाल सरकार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।

स्वास्थ्य साथी कार्ड राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़ा है। जिसका प्रीमियम सरकार वहन करती है, जबकि यह और राशन कार्ड दोनों ही राज्य द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को क्या दिया था निर्देश?

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि यदि चुनाव आयोग विशेष गहन पुनरीक्षण करता है, तो आधार कार्ड को वैध पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाए।

शुरू से ही ममता सरकार कर रही एसआईआर का विरोध

शुरू से ही, मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर का विरोध किया है। उन्होंने तर्क दिया है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य राज्य में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) और सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) को लागू करने का रास्ता साफ करता है।

वहीं, भाजपा ने दावा कि तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस डर से संशोधन का विरोध कर रही हैं कि इससे अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को सूची से हटा दिया जाएगा।

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