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टाटा समूह में कलह! केंद्र सरकार ने दिया दखल, अमित शाह-सीतारमण से मिले ग्रुप के टॉप चार अधिकारी

टाटा ट्रस्ट के भीतर का यह टकराव देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह पर असर डाल सकता है। मुख्य विवाद टाटा सन्स के बोर्ड की सीट्स और गवर्नेंस स्ट्रक्चर को लेकर है। ट्रस्टीज के बीच मतभेद ने टाटा ट्रस्ट और टाटा सन्स के बीच तनाव पैदा कर दिया है।

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Oct 08, 2025
टाटा ट्रस्ट में विवाद सामने आया है। (PC: Gemini)

रतन टाटा के निधन के ठीक एक साल बाद देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह में कलह की नौबत आ गई है। विवाद इस कदर बढ़ चुका है कि इसमें केंद्र सरकार को दखल देना पड़ रहा है।टाटा संस में करीब 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्ट के सदस्यों के बीच गहरे मतभेद उभरे हैं, जिससे टाटा संस के ऑपरेशन में दिक्कतें आ सकती हैं। इसने सरकार को भी परेशान कर दिया है। इस संबंध में टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा ने मंगलवार शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की।

रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा ग्रुप में उथल-पुथल की वजह बोर्ड नियुक्तियां, इंफोर्मेशन तक पहुंच (बोर्ड मीटिंग के मिनट्स), कंपनी संचालन और टाटा संस की लंबे समय से लटकी लिस्टिंग योजनाएं हैं। इसी को लेकर ट्रस्टियों के बीच अंदरूनी कलह सामने आ रही हैं। टाटा ट्रस्ट्स के भीतर चेयरमैन नोएल टाटा और ट्रस्टी मेहली मिस्त्री के दो अलग-अलग गुट बन गए हैं। मिस्त्री का संबंध शापूरजी पलोनजी (एसपी) परिवार से है, जिसकी टाटा संस में करीब 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा ट्रस्ट्स की बोर्ड बैठक शुक्रवार को प्रस्तावित है, हालांकि उसका एजेंडा स्पष्ट नहीं है।
एक व्यक्ति के हाथ में जाने की आशंका से खलबली

टाटा ट्रस्ट के भीतर का यह टकराव देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह पर असर डाल सकता है। मुख्य विवाद टाटा सन्स के बोर्ड की सीट्स और गवर्नेंस स्ट्रक्चर को लेकर है। ट्रस्टीज के बीच मतभेद ने टाटा ट्रस्ट और टाटा सन्स के बीच तनाव पैदा कर दिया है। एक सूत्र ने कहा कि सरकार के सामने यही बड़ा प्रश्न है कि क्या समूह का नियंत्रण किसी एक व्यक्ति के हाथों में केंद्रित होने दिया जा सकता है। टाटा समूह के भीतर के कुछ लोगों का मानना है कि मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाला गुट नोएल टाटा के नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
दो गुट में बंटा समूह

गुट 1: नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह (पूर्व नामित निदेशक)।
यह गुट चाहता है यथास्थिति रहे। इसे नोएल टाटा का गुट माना जा रहा है। यह गुट कोई बदलाव करने से पहले निरंतरता और उचित प्रक्रिया चाहता है।
गुट 2: मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहोगीर और डेरियस खंबाटा।
इसमें असहमत ट्रस्टी शामिल हैं, इन्होंने विजय सिंह को फिर से नियुक्ति करने का विरोध किया और नए डायरेक्टर्स की नियुक्ति पर जो दिया, जिससे ट्रस्ट के अंदर तीन बनाम चार का विभाजन हो गया।

क्या है विवाद की जड़

सूत्रों के मुताबिक, इस विवाद का मुख्य कारण टाटा संस के निदेशक मंडल में नियुक्ति है। सूत्रों ने बताया कि 11 सितंबर को हुई बैठक में इस विवाद की शुरुआत हुई थी, जिसमें टाटा संस के निदेशक मंडल में पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह की पुनर्नियुक्ति पर विचार किया गया था। बैठक में मौजूद सात में से छह ट्रस्टियों में से चार ट्रस्टी-मेहली मिस्त्री, प्रमीत झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने प्रस्ताव का विरोध किया जबकि नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन इसके समर्थन में थे। प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया। बैठक के बाद चार ट्रस्टीज ने मेहली मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड में नामित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद विजय सिंह ने स्वेच्छा से बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।

इस मुद्दे पर भी टकराव

टाटा संस को अपर-लेयर एनबीएफसी के तौर पर लिस्ट होने के लिए आरबीआइ की डेडलाइन का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन कंपनी ने जरूरी लिस्टिंग से बचने के लिए एनबीएफसी के रूप में रजिस्ट्रेशन कैंसल करने के लिए भी आवेदन किया है। इस बीच, मेहली मिस्त्री का शापूरजी पलोनजी ग्रुप लिक्विविडिटी को बढ़ावा देने के लिए लिस्टिंग चाहता है।

क्यों है सरकार चिंतित

सरकार की चिंता है कि तरिक कलह भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यवस्थित बिजनेस समूहों में से एक के शासन को पंगु बना सकती है। देश की जीडीपी में 4 फीसदी योगदान और करीब 11 लाख लोगों को सीधे रोजगार देने वाले गौरवपूर्ण समूह की अिस्थरता पर सरकार मूक दर्शक नहीं रह सकती।

इसलिए अहम है टाटा समूह

400 कंपनियां, 30 लिस्टेड
मार्केट कैप: 180 अरब डॉलर

सबसे बड़ा निजी क्षेत्र नियोक्ता: 11 लाख कर्मचारी
देश में टैक्स हिस्सेदारी: 2%

देश की जीडीपी में हिस्सेदारी: 4%
एन चंद्रशेखरन का क्या है रुख

रिपोट्र्स के अनुसार एन. चंद्रशेखरन सावधानी से कदम उठा रहे हैं। उनके पास 5 साल के विस्तार के लिए ट्रस्टियों का समर्थन है। फिर भी वे इस उथल-पुथल के आने पर तटस्थ बने हुए हैं।

टाटा संस शेयर होल्डिंग

ग्रुप कंपनीज:12.9% (टाटा स्टील्स, टाटा मोटर्स, टाटा केमिकल्स, टाटा पावर, इंडियन होटल्स, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा कंज्यूमर्स, टाटा इंटरनेशल, टाटा इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन)
टाटा ट्रस्ट - 66%
(सर दोराबजी ट्रस्ट: 28%, सर रतन टाटा ट्रस्ट: 24%, अन्य ट्रस्ट:14%)

एसपी ग्रुप:18.4%
अन्य:2.7%

Published on:
08 Oct 2025 07:27 am
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