राष्ट्रीय

ईद मीलादुन्नबी और बारा वफात: क्या है फर्क, भारत और दुनिया में कैसे मनाते हैं ?

Eid Milad-un-Nabi vs Bara Wafat: ईद मीलादुन्नबी पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन का उत्सव है, जबकि बारा वफात उनकी पुण्यतिथि को कहते हैं।

3 min read
Sep 03, 2025
अरब के मदीना शरीफ में पैगंबर हजरत मोहम्मद की यादगार अल नबवी म​स्जिद। (फोटो: X Handle fatima iram .)

Eid Milad-un-Nabi vs Bara Wafat: इस्लामी दुनिया में पैगंबर हजरत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से जुड़ी कई अहम तारीखें हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं ईद मीलादुन्नबी (Eid Milad-un-Nabi) और बारा वफात। अक्सर लोग इन दोनों को लेकर भ्रमित रहते हैं, इसलिए आज हम आसान भाषा में इनके बीच का फर्क, इनकी मान्यताएं और दुनिया भर में इन्हें मनाने के तरीके समझेंगे।दरअसल उनकी दुनिया में आमद और पर्दा लेने की तारीख एक ही है 12 रबीउल अव्वल, इसलिए लोग भ्रमित होते हैं। यानि जिस दिन वे दुनिया में आए, उसी दिन इस दुनिया से पर्दा लिया। आमद का दिन ईद मीलादुन्नबी कहलाया और दुनिया से पर्दा लेने का दिन बारा वफात (Bara Wafat)। जश्न ईद मीलादुन्नबी का होता है, बारा वफात का ​नहीं। अक्सर लोग इन दोनों को लेकर भ्रमित रहते हैं, इसलिए आज हम आसान भाषा में इनके बीच का फर्क, इनकी मान्यताएं और दुनिया भर में इन्हें मनाने के तरीके समझेंगे।

ये भी पढ़ें

पुतिन की ज़ेलेंस्की दो टूक, मिलना है तो मास्को आओ! क्या होगी यूक्रेन-रूस में बातचीत ?

पैगंबर हजरत मोहम्मद (सअव) का जन्म (Prophet Muhammad birthday)

हजरत मोहम्मद का जन्म इस्लामी कैलेंडर के रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख को मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था। उनकी माता का नाम आमिना और पिता का नाम अब्दुल्लाह था। उन्हें अल्लाह ने 40 वर्ष की उम्र में पैगंबर बनाया।

आखिर क्या है ईद मीलादुन्नबी ? (Islamic festivals)

यह दिन पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान उनके जीवन, शिक्षाओं और आदर्शों को याद करते हैं। भारत के अधिकतर शहरों में ईद मीलादुन्नबी जलसा कमेटियां हैं ,जिन के तत्वावधान में जुलूस निकाले जाते हैं और इन कमेटियों की मेजबानी में ईदगाहों और मस्जिदों में ईद मीलादुन्नबी जलसों का आयोजन होता है।

यह कहां-कैसे मनाते हैं ? (Muslim tradition)

पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, मिस्र, और कई मुस्लिम देशों में खास प्रार्थनाएं, जलसे, कव्वालियां और सामाजिक कार्यक्रम होते हैं। लोग मस्जिदों में इकठ्ठा होकर पैगंबर की शान में नात पढ़ते हैं।

बारा वफात: पैगंबर के दुनिया से पर्दा लेने का दिन

बारा वफात पैगंबर मोहम्मद की मौत की याद में मनाया जाता है। यह रबीउल अव्वल के महीने की 12 तारीख को मनाया जाता है, देश और मान्यता के अनुसार फर्क होता है।

दुनिया में इसे कैसे मनाया जाता है?

ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और कई मुस्लिम समुदायों में इस दिन पैगंबर की याद में विशेष दुआएं, कुरान की तिलावत और मिलाद (पैगंबर की जीवनी पर आधारित कार्यक्रम) आयोजित होते हैं।

ईद मीलादुन्नबी और बारा वफात भारत में कैसे मनाते हैं?

भारत में ईद मीलादुन्नबी इस्लामी त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। ईद मीलादुन्नबी पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, जिसमें मुस्लिम समुदाय मस्जिदों में नमाज़ अदा करता है, सत्संग करता है, धार्मिक व्याख्यान सुनता है और मेलों, जुलूसों का आयोजन होता है। इस दिन लोगों को मीठे पकवान खिलाए जाते हैं और गरीबों की मदद की जाती है।

याद में नमाज़ और दुआएं की जाती हैं

बारा वफात पैगंबर मुहम्मद साहब की दिवंगत हो जाने की याद में मनाई जाती है। इस दिन विशेष प्रार्थनाएं, कुरान की तिलावत और सभा का आयोजन किया जाता है। भारत के कई हिस्सों में इस दिन मस्जिदों और इस्लामी केंद्रों में कार्यक्रम होते हैं, जिसमें पैगंबर की याद में नमाज़ और दुआएं की जाती हैं।

ईद मीलादुन्नबी किस देश में कैसे मनाते हैं?

पाकिस्तान: ईद मीलादुन्नबी राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाते हैं। बड़ी- बड़ी धार्मिक रैलियां और जुलूस होते हैं, जिनमें देशभर से लोग शामिल होते हैं। मस्जिदों में खास नमाज़ और कुरान की तिलावत होती है।

बांग्लादेश: यहाँ भी त्योहार बड़े धूमधाम से मनाते हैं। धार्मिक सभाएं, सत्संग और जुलूस निकलते हैं। इस दिन सरकारी अवकाश होता है।

सऊदी अरब: मक्का और मदीना में खास धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। हालांकि सऊदी अरब में ईद मीलादुन्नबी का जश्न सार्वजनिक रूप से सीमित रहता है।

मोरक्को, मिस्र, इंडोनेशिया: यहाँ ईद मीलादुन्नबी पर विशेष नमाज़ होती है और सामाजिक कार्यक्रम होते हैं। पैगंबर की याद में मौन धारण किया जाता है और प्रार्थनाएं की जाती हैं।

क्यों है ये तारीख महत्वपूर्ण ?

पैगंबर हजरत मोहम्मद की जयंती (ईद मीलादुन्नबी) मुसलमानों के लिए उत्सव और शिक्षाओं को याद रखने का मौका है, जबकि बारा वफात उन्हें अपनी याद में शोक मनाने और जीवन को सुधारने की प्रेरणा देती है।

ईद मीलादुन्नबी और बारा वफात दोनों ही इस्लाम के महत्वपूर्ण दिवस हैं, जो पैगंबर मोहम्मद की जिंदगी से जुड़े हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इन्हें भिन्न तरीके से मनाया जाता है, और ये इस्लामी सांस्कृतिक विविधता दर्शाते हैं।

प्रामाणिक कोट्स (Authentic Quotes)

हजरत अली (रजि.) ने कहा था, “जो अपने नबी की यादों को संजोता है, उसका ईमान मजबूत होता है।” मौलाना रूमी ने लिखा है, “मोहम्मद की मोहब्बत दिलों की सबसे बड़ी रोशनी है।”

Also Read
View All

अगली खबर