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अब कर्मचारी ऑफिस कॉल और ईमेल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होंगे, लोकसभा में सुप्रिया सुले ने पेश किया बिल

No Calls After Office Hours Law: NCP सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में ऑफिस से कर्मचारियों को राहत देने के लिए Right to Disconnect Bill पेश किया है। इस बिल में कर्मचारियों के अधिकारों को पेश किया गया है। इससे कर्मचारी ऑफिस टाइम के बाद स्वतंत्र होंगे और बाध्यता से मुक्त हो सकते हैं।

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Dec 06, 2025
संसद में पेश हुआ राइट टू डिस्कनेक्ट बिल (Photo-IANS)

Right to Disconnect Bill: लोकसभा में कर्मचारियों के अधिकारों की बात करते हुए, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी से लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने शुक्रवार को संसद में राइट टू डिस्कनेक्ट बिल पेश किया। इस बिल में कर्मचारी को ऑफिस टाइम के बाद ऑफिस से आए कॉल और ईमेल का रिप्लाई न करने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। साथ ही, इस बिल में छुट्टियां भी शामिल की गई हैं। इसके बाद अगर कर्मचारी छुट्टी पर जाता है, तो वह ऑफिस के कॉल और ईमेल से न जुड़ने का अधिकार रखेगा। हालांकि, यह एक निजी बिल है, जिसको सरकार की प्रतिक्रिया के बाद वापस लिया जा सकता है। संसद में ऐसे बिल पेश कर दिए जाते हैं, लेकिन कानून नहीं बन पाते हैं।

क्या कहता है यह बिल?

NCP सांसद सुप्रिया सुले द्वारा पेश किया गया बिल मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों के अधिकारों की बात करता है। राइट टू डिस्कनेक्ट बिल में एम्प्लॉय वेलफेयर अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। इस बिल का उद्देश्य कंपनियों में कर्मचारियों के लिए संतुलित वातावरण तैयार करना है। इस बिल के पारित होने के बाद कर्मचारियों को यह कहने का अधिकार मिल जाएगा कि ऑफिस टाइम के बाद वे ऑफिस मेल और कॉल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं।

कंपनियों के लिए क्या है संदेश?

इस बिल ने कंपनियों को कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने का संदेश दिया है। इस बिल के तहत कंपनियों को ऑफिस टाइम निर्धारित करना होगा। साथ ही ऑफिस टाइम के बाद शुरू हुए कर्मचारी के निजी टाइम का सम्मान करना होगा। इस दौरान वह किसी भी प्रकार के ऑफिस कम्युनिकेशन के लिए बाध्य नहीं होगा। यह कर्मचारी नियम छुट्टियों पर भी लागू होगा।

दूसरे देश पहले से अपना रहे हैं यह नियम

यह नियम नया नहीं है; पहले से ही बाहरी देश यह नियम का पालन करते आ रहे हैं। उनका मानना है कि लगातार ऑफिस से जुड़े रहना और डिजिटली कनेक्ट रहना मानसिक नुकसान का कारण बनता है। इससे कर्मचारियों की सेहत पर गहरा असर होता है। साथ ही कंपनी की प्रोडक्टिविटी भी घटती है और कर्मचारी धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार होते जाते हैं।

इनमें से फ्रांस, स्पेन, बेल्जियम और पुर्तगाल जैसे देश इस नियम को अपनाते हैं। यह देश कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर सख्त नियम अपनाते हैं। यह देश कर्मचारियों को काम के बाद बिना किसी ऑफिस के दबाव में आराम करने देते हैं।

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