Explainer: इस समय टेरिटोरियल आर्मी नियमित सेना का जरूरी अंग है। किसी आपात स्थिति में यह नियमित सेना को यूनिट प्रदान करती है।
Explainer: केंद्र सरकार ने थल सेनाध्यक्ष को प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी (टीए) के जवानों को आवश्यकतानुसार सेवा के लिए बुलाने का अधिकार दिया है। ऑपरेशन सिंदूर और पाक से तनाव के बीच सरकार के इस कदम से नियमित सेना को और मजबूती मिलेगी। आइए जानते हैं टीए के बारे में….
प्रादेशिक सेना देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें 32 पैदल बटालियन हैं, जिनमें से 14 बटालियन (करीब 14,000 सैनिक) दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी, दक्षिण-पश्चिमी, अंडमान और निकोबार, तथा सेना प्रशिक्षण कमांड में तैनात की जा सकती हैं।
इस समय टेरिटोरियल आर्मी नियमित सेना का जरूरी अंग है। किसी आपात स्थिति में यह नियमित सेना को यूनिट प्रदान करती है। यह प्राकृतिक आपदाओं और नागरिक प्रशासन की सहायता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
9 अक्टूबर 1949 को भारत के प्रथम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने की। इस दिन को 'टीए दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
18-42 वर्ष के नागरिक इसका हिस्सा बन सकते हैं। उनका स्नातक होना और शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है।
शुरू में पैदल, वायु रक्षा, चिकित्सा, इंजीनियर, और सिग्नल रेजिमेंट जैसी इकाइयों से टीए बनी थी। वर्ष 1972 तक इन्हें भंग कर दिया गया और इकाइयों को नियमित सेना में बदल दिया गया। पैदल बटालियन इसकी अपवाद थी।
टेरिटोरियल आर्मी ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों, ऑपरेशन पवन (श्रीलंका), ऑपरेशन रक्षक (पंजाब, जम्मू-कश्मीर), ऑपरेशन राइनो और बजरंग (उत्तर-पूर्व) में हिस्सा लिया।
-अभिषेक यादव