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चीन की घोषणा के बाद भारत का भी बड़ा एलान, 3 देशों की सीमा तक बढ़ेगी कनेक्टिविटी, ये है रणनीति

चीन की सीमावर्ती रेल परियोजना के जवाब में भारत ने उत्तर-पूर्व में रेल नेटवर्क के विस्तार का ऐलान किया है। तीन देशों (चीन, भूटान, म्याँमार) की सीमाओं तक पहुँचने वाली नई रेल लाइनें रणनीतिक सुरक्षा और व्यापार को मजबूत करेंगी। अरुणाचल प्रदेश से लेकर मणिपुर तक कई राज्यों में तेज़ी से रेल निर्माण कार्य जारी है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। यह कदम भारत की रणनीतिक ताकत को बढ़ाता हुआ दिखाई दे रहा है।

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Sep 22, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग। (फोटो- IANS)

भारत ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में रेलवे नेटवर्क के विस्तार पर जोर बढ़ा दिया है। इसके लिए रेलवे के कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिनका मकसद सिर्फ क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाना नहीं है, बल्कि चीन, भूटान और म्यांमार सीमा से लगे इलाकों तक मजबूत रेल नेटवर्क खड़ा करना भी है। इससे रणनीतिक दृष्टि से सुरक्षा मजबूत होगी और व्यापार के नए अवसर भी खुलेंगे।

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तेजी से चल रहा रेल लाइनों का निर्माण

दरअसल, उत्तर पूर्व के राज्यों सिक्किम से लेकर मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश तक नई रेल लाइनों का निर्माण तेजी से चल रहा है, जिससे पहली बार कई राज्य राजमार्गों के साथ-साथ रेल पटरियों से भी सीधे जुड़ेंगे।

हाल में मिजोरम की 51 किलोमीटर लंबी बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन शुरू हुई है। इससे आइजोल तक ट्रेन पहुंच गई है। यहां करीब 77 हजार करोड़ रुपए की रेल परियोजनाओं में निवेश की सबसे बड़ी लहर चल रही है।

चालू वित्तीय वर्ष में 10 हजार 440 करोड़ रुपए निर्धारित किए हैं। इससे यहां के लोगों को रेल सेवा का फायदा मिलेगा, वहीं चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे होने से इनका रणनीतिक और व्यापारिक महत्व भी है।

यहां चल रहा काम

अरुणाचल प्रदेश- चीन से सटे इस राज्य में ट्रेन सेवा शुरू हुए 11 साल हो चुके हैं। अब यहां विस्तार किया जा रहा है। इसके तहत मुरकोंगसेलेक-पासीघाट लाइन पर 15.6 किलोमीटर लंबी मुरकोंगसेलेक-सिले रेल लाइन को अक्टूबर तक और 10.55 किलोमीटर लंबी सिले-पासीघाट लाइन को फरवरी 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है।

चीन सीमा के नजदीक स्थित तवांग, पासीघाट-परशुराम कुंड-वाकरो और बामे-आलो-मेचुका तक नई लाइनों के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण (एफएलएस) पूरा हो चुका है।

मणिपुर- म्यांमार सीमा से सटा इस राज्य में भी रेल सेवा विस्तार कार्य चल रहा है। जहां 110।625 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इंफाल रेल लाइन का काम चल रहा है। इसके जिरीबाम-वांगाईचुंगपाओ और वांगाईचुंगपाओ-खोंगसांग खंड पहले ही चालू हो चुके हैं।

वहीं, 9.1 किलोमीटर लंबी खोंगसांग-अवांगखुल लाइन के मार्च 2026, 9.15 किलोमीटर लंबी अवांगखुल-नोनी लाइन के मार्च 2027 और 37.02 किलोमीटर लंबी नोनी-इंफाल लाइन के मार्च, 2028 तक शुरू होने की उम्मीद है।

त्रिपुरा- अगरतला-सबरूम लाइन 2016-19 के बीच पूरी हुई और बांग्लादेश सीमा से लगी त्रिपुरा की दक्षिणी सीमा तक रेल पहुंच गई। यहां पूरे नेटवर्क का विद्युतीकरण हो चुका है और अगरतला तक दोहरीकरण का कार्य भी योजना में है।

सिक्किम- भूटान और नेपाल सीमा के बीच स्थित इस राज्य में 44।96 किलोमीटर लंबी सेवोक-रंगपो रेल लाइन निर्माणाधीन है। इसके दिसंबर, 2027 तक पूरी होने का लक्ष्य है, जो सिक्किम को पहला रेल संपर्क प्रदान करेगी।

नगालैंड- दीमापुर-कोहिमा नई लाइन का काम प्रगति पर है, जिसमें धनसिरी-शोखुवी खंड अक्टूबर, 2021 में चालू हुआ और डोनी पोलो एक्सप्रेस शुरू हुई। वहीं शोखुवी-मोल्वोम खंड मार्च 2025 में पूरा हो गया, जबकि मोल्वोम से जुब्जा (कोहिमा के पास) तक का शेष खंड प्रगति पर है।

अक्टूबर, 2026 तक मोल्वोम-फेरिमा खंड खुलने का अनुमान है, इसके बाद दिसंबर 2029 में फेरिमा- जुब्जा खंड के चालू होने की उम्मीद है। यह नगालैंड की राजधानी कोहिमा तक रेल संपर्क कायम करेगा।

चीन ने भी किया था भारत की सीमा तक ट्रेन चलाने का एलान

कुछ ही दिनों पहले चीन ने भी यह घोषणा की थी कि वह तिब्बत-शिनजियांग के बीच 2000 किमी लंबी नई रेल लाइन बिछाने जा रहा है। यह रेल लाइन भारत के अभिन्न हिस्से अक्साई चिन के करीब से गुजरेगी।

लाइन का रूट वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के काफी नजदीक है। एलएसी के नजदीक रेल लाइन से चीन सेना व सैन्य उपकरणों को तेजी से तैनात कर सकेगा। इसी को देखते हुए भारत ने भी मजबूत कदम उठाया है।

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