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भारत में एक और जगह मिला रेयर अर्थ मटेरियल, बड़ी मात्रा में सोना-लिथियम का पता लगाने के बाद खतरे में आए अधिकारी!

कोप्पल और रायचूर में सोना और लिथियम की बड़ी मात्रा मिली है, लेकिन ये इलाके प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट में होने से निकालने का काम रुका है। कर्नाटक के माइंस और जियोलॉजी डिपार्टमेंट 65 जगहों पर रेयर अर्थ मिनरल्स की तलाश कर रहा है।

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Dec 09, 2025
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फोटो- ANI)

भारत में एक और जगह रेयर अर्थ मटेरियल का पता लगाया गया है। कर्नाटक के माइंस और जियोलॉजी डिपार्टमेंट ने 65 जगहों की लिस्ट तैयार की है, जहां वह सोने और दूसरे रेयर अर्थ मिनरल्स तलाश जारी है।

इस बीच, कोप्पल और रायचूर में बड़ी मात्रा में सोना और लिथियम मिले हैं। लेकिन ये इलाके प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट में आते हैं, इसलिए उन्हें निकालने और डिटेल्ड रिसर्च का काम रुका है।

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कितना सोना और लिथियम मिला?

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने खनन विभाग के सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि कोप्पल जिले के अमरापुर ब्लॉक में प्रति टन 12-14 gm सोना मिलता है। आमतौर पर स्टडी और माइनिंग के दौरान प्रति टन लगभग 2-3 ग्राम सोना मिलता है। हुट्टी गोल्ड माइंस में लगभग 2-2।5 ग्राम सोना हैं।

अधिकारियों ने फिलहाल फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए अप्लाई किया है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर घाटी में पहली बार लिथियम मिला था। इसके बाद देश में लिथियम मिलने का यह सिर्फ दूसरा मामला है। यह मेटल रायचूर के अमरेश्वर में मिला है।

इजाजत मिलने पर लिथियम निकालने वाला पहला राज्य होगा कर्नाटक

नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने काह- अगर खुदाई की इजाजात मिलती है, तो कर्नाटक लिथियम निकालने वाला पहला राज्य होगा। पहले भी कुछ जगहों पर लिथियम डिपॉजिट मिले हैं, लेकिन आज तक कोई ड्रिलिंग का काम नहीं हुआ है।

नवंबर 2025 में हुई पिछली डिटेल्ड बोर्ड मीटिंग में राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के अधिकारियों ने नतीजों और मिलने वाली क्लीयरेंस की डिटेल्स पर चर्चा की थी।

दुर्लभ और कीमती धातुओं की स्टडी और खोज चार स्टेज में की जाती है। पहले दो स्टेज में टोही, पिटिंग और फेंसिंग का काम होता है। आखिरी दो स्टेज में 500 मीटर तक ड्रिलिंग और शुरुआती माइनिंग शामिल होती हैं। कोप्पल और रायचूर में पहले दो स्टेज पूरे हो चुके हैं।

पहले भी मिल चुका है सोना

सूत्रों के मुताबिक, अमरापुर में 2020 में सोने के बड़े डिपॉजिट मिले थे, लेकिन काम 2024-25 से आगे बढ़ा। दोनों जगहों पर अब तक कोई ड्रिलिंग का काम नहीं हुआ है। हम अपने ग्राउंड स्टाफ की सेफ्टी को लेकर भी परेशान हैं। उन्हें लगातार उन लोगों से खतरा है जो गैर-कानूनी तरीके से रिसोर्स का फायदा उठाना चाहते हैं और जो स्टडी को रोकना चाहते हैं।

क्या कहता है फॉरेस्ट विभाग?

उधर, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा- हम पर क्लियरेंस देने का प्रेशर बढ़ रहा है। हमारे सामने कई प्रपोजल आए हैं और हर साल प्रेशर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा- लिथियम निकालने का प्रपोजल लिंगसुगुर रिजर्व फॉरेस्ट पैच में है, जबकि सोने के लिए यह कुश्तगी में अमरापुर रिजर्व फॉरेस्ट पैच में है। हम माइनिंग के लिए सुरक्षित वर्जिन फॉरेस्ट एरिया नहीं खोल सकते। जंगल भी एक जरूरी इकोलॉजिकल वेल्थ हैं।

इन चीजों का पता लगाने के लिए चल रही खोज

माइंस एंड जियोलॉजी डिपार्टमेंट 57 जगहों पर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आठ जगहों पर प्राइवेट एजेंसियों के साथ काम कर रहा है। जिन मिनरल्स को निकालने के लिए खोजा जा रहा है।

उनमें प्लैटिनम ग्रुप के मेटल्स, बॉक्साइट, कॉपर, कोबाल्ट, निकल, सिलिमेनाइट, टंगस्टन, वैनेडियम, यूरेनियम, डायमंड, कोलंबाइट-टैंटलाइट, मैंगनीज, क्रोमाइट और कायनाइट व जेनोटाइम जैसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं।

Published on:
09 Dec 2025 09:39 am
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