
डीएमके सांसद ए राजा। (फोटो- लोकसभा टीवी)
लोकसभा में वंदे मातरम् के 150वीं वर्षगांठ पर सोमवार को विशेष बहस हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर समझौता किया और मुस्लिम लीग के दबाव में इसके टुकड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि यह हमारी मातृभूमि की स्तुति है और स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वहीं, दूसरी तरफ सदन में डीएमके सांसद ए राजा ने भी वंदे मातरम् पर अपनी बात रखी। उन्होंने ऐतिहासिक सबूतों का हवाला देते हुए कहा कि वंदे मातरम् गीत और इसके लेखक बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं में धार्मिक भावनाएं थीं।
अपने संबोधन के दौरान राजा ने पीएम मोदी को भी घेरा। उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री को तुष्टिकरण शब्द बहुत पसंद है। इसका जिक्र किए बिना उनके भाषण खत्म नहीं होते। वंदे मातरम के मामले में किस तरह का तुष्टिकरण किया गया? इसे राष्ट्रीय गीत माना जाता है, लेकिन इसने मूर्तिपूजा और धार्मिक दुश्मनी के मामले में कड़ा विरोध किया है
राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि इस गाने को काट दिया गया और इसी ने बंटवारे के बीज बोए। पीएम ने पूछा कि वंदे मातरम् को किसने बांटा? तो मैं बताना चाहता हूं कि बंटवारा आपके पुरखों ने किया था, मुसलमानों ने नहीं।
लोकसभा में राजा में कहा- महात्मा गांधी ने 1915 में इस गाने की तारीफ की थी, जबकि 1940 में उन्होंने कहा था कि इसे मुसलमानों को दुख पहुंचाने के इरादे से नहीं गाया जाना चाहिए। आखिर 1915 से 1940 के बीच क्या हुआ?
राजा ने कहा कि क्रांतिकारी ग्रुप अनुशीलन समिति इस गाने की सबसे बड़ी समर्थक थी और इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिलाने में उसकी भूमिका थी। उन्होंने कहा कि 1905 और 1908 के बीच, तत्कालीन गृह मंत्रालय ने देखा था कि बंगाल के मस्जिदों में नमाज के दौरान हिंदू लोग जुलूस निकालते थे, जिसमें वंदे मातरम् के नारे लगाए जाते थे, जिससे दुश्मनी पैदा होती थी।
राजा ने अपने संबोधन में यह भी दावा किया कि 1907 में कुछ पर्चे बांटे गए। जिसमें साफ संदेश दिया गया कि मुसलमानों को वंदे मातरम् नहीं गाना चाहिए और किसी भी मुसलमान को स्वदेशी आंदोलन में शामिल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1902 और 1915 के बीच ऐसी घटनाएं बढ़ गईं।
राजा ने कहा- हाउस ऑफ कॉमन्स ने तब इस बात पर बहस की थी कि वंदे मातरम् सांप्रदायिक झगड़ा क्यों पैदा कर रहा है। गलती गाने में नहीं है। उनके अनुसार, यह सिर्फ हिंदुओं के लिए है। इसलिए फूट वहीं से शुरू होती है।
राजा ने आगे कहा कि वंदे मातरम् आने में कुछ छंद ऐसे हैं, जो न केवल अंग्रेजों के खिलाफ हैं, बल्कि मुसलमानों के भी खिलाफ हैं। आर सी मजूमदार ने सही कहा- बंकिम चंद्र ने देशभक्ति को धर्म में और धर्म को देशभक्ति में बदल दिया था।
Published on:
09 Dec 2025 08:55 am
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