Governor RN Ravi: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने DMK पर तमिल एक्सेप्शनलिज़्म की राजनीति करने और तमिल को अन्य द्रविड़ भाषाओं से अलग दिखाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि तमिल नेता भाषा के संरक्षण के लिए कुछ नहीं कर रहे, तमिल मीडियम घट रहा है और रिसर्च को जीरो बजट मिला। जानिए स्टालिन सरकार पर और क्या क्या बोले...
Tamilnadu Politics: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि (Governor RN Ravi) ने राज्य की सत्ताधारी पार्टी DMK पर निशाना साधा है। रवि ने कहा कि तमिलनाडु की राजनीति क्षेत्रवाद नहीं है, यह असल में तमिल एक्सेप्शनलिज़्म है। उन्होंने कहा कि सूबे की राजनीति का फोकस सिर्फ इस पर है कि तमिल भाषा दूसरी भारतीय भाषाओं से अलग है। राज्यपाल रवि ने एक कदम आगे बढ़कर यहां तक कहा कि तमिल भाषा पर राजनीति तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम जैसी द्रविड़ परिवार की भाषाओं के खिलाफ भी है। यह सिर्फ हिंदी तक सीमित नहीं है।
उन्होंने कहा कि तमिल पॉलिटिशियन असल में तमिल से प्यार नहीं करते, क्योंकि उन्होंने तमिल भाषा या तमिल कल्चर को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि हर साल, स्टूडेंट्स तमिल मीडियम से इंग्लिश मीडियम की ओर जा रहे हैं। तमिल में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या लगातार और तेजी से कम हो रही हैं। उन्होंने राज्य की स्टालिन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'तमिलनाडु सरकार ने तमिल भाषा और कल्चर में रिसर्च के लिए जीरो बजट दिया है।'
RN रवि ने कहा कि स्टेट आर्काइव में 11 लाख से ज्यादा ताड़ के पत्तों की मैन्युस्क्रिप्ट सड़ रही हैं। उनके बचाव के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई खर्च नहीं किया गया है। अक्टूबर 2024 में दूरदर्शन के एक इवेंट में तमिल थाई वज्थू को लेकर हुए विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि जहां तमिल राष्ट्रगान कथित तौर पर "द्रविड़" शब्द के बिना गाया गया था, गवर्नर ने कहा कि DMK की तमिलनाडु सरकार ने बिना किसी बात के हंगामा किया। उन्होंने कहा कि वह इवेंट में सिर्फ़ एक मेहमान थे और ऑर्गनाइजर से गलती हुई, लेकिन उन्होंने माफी मांगी। गवर्नर ने कहा कि असल में, मैं तमिल थाई वज़्थू उन कई लोगों से बेहतर गा सकता हूं जो तमिल के बारे में बात करते हैं।
रवि ने जनवरी में असेंबली के पहले सेशन से अपना आम भाषण देने के बजाय वॉकआउट कर दिया था, उन्होंने कहा कि यह एक दर्दनाक फैसला था। गवर्नर ने कहा, 'मैं असेंबली में बयान पढ़ने जाता हूं, वॉकआउट करने नहीं। लेकिन, आप जानते हैं, संविधान और संविधान के आर्टिकल 51A का बचाव करना मेरी संवैधानिक जिम्मेदारी है, जो कहता है कि राष्ट्रगान का सम्मान किया जाना चाहिए। रवि इस बात का विरोध कर रहे थे कि सेशन शुरू होने पर राष्ट्रगान नहीं बजाया गया। उन्होंने बताया कि ऐसे फंक्शन में जहां कोई गवर्नर या प्रेसिडेंट शामिल होते हैं, वहां राष्ट्रगान से ही शुरुआत होती है और उसी से खत्म भी होता है।'
इस दौरान रवि ने जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के मुद्दों पर भी अपनी राय रखी। तमिलनाडु से पहले, रवि नागालैंड के गवर्नर थे और उनके पास मेघालय का भी एडिशनल चार्ज था। आर.एन. रवि 1976 बैच के केरल कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हैं। आईबी में रहते हुए जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल क्षेत्रों में उग्रवाद-निरोधक कार्य किए। 2014 से नागा शांति वार्ता के अंतर्राष्ट्रीय वार्ताकार रहे, 2015 फ्रेमवर्क एग्रीमेंट में प्रमुख भूमिका निभाई। 2018-19 में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे।