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‘ये कोई जेम्स बॉन्ड की फिल्म नहीं है…’ Gautam Adani रिश्वत केस में सीनियर एडवोकेट ने बताए पेंच

भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) पर अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने आरोप लगाया है कि अडानी ने अपनी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को एक सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी।

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Gautam Adani Bribery and fraud case

Gautam Adani Bribery Case Update: भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) पर अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने आरोप लगाया है कि अडानी ने अपनी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को एक सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी। इस मामले पर नामचीन क्रिमिनल एडवोकेट विजय अग्रवाल (Advocate Vijay Aggarwal) ने अमेरिकी अभियोजकों की ओर से बिजनेस मैन गौतम अडानी और अन्य लोगों पर सौर ऊर्जा अनुबंध घोटाले के आरोपों पर अपने विचार व्यक्त किए। आइए जानते हैं क्या कहते हैं सीनियर वकील-

'बिजनेस वर्ल्ड में ऐसा होता है'

क्रिमिनल एडवोकेट विजय अग्रवाल ने कहा, 'मुझे अब तक कोई बड़ा मुद्दा नहीं दिख रहा है। जो 54-पेज का आरोपपत्र है, उसमें कोई ठोस प्रमाण नहीं दिखते। ये केवल आरोप हैं। किसी व्यक्ति को दोषी सिद्ध होने तक निर्दोष माना जाता है। US में अडानी पर अभी बस आरोप लगाए गए हैं। ये सिर्फ़ अभियोग है। बिजनेस वर्ल्ड में ऐसा होता रहा है। जब कोई बड़ा समूह होता है, जिसके विभिन्न व्यावसायिक हित होते हैं, परिवहन के साथ-साथ हरित ऊर्जा क्षेत्र में चीनी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा होती है, तेल समृद्ध देशों के साथ प्रतिस्पर्धा होती है तो उनके प्रतिस्पर्धियों की ओर से आरोप लगते हैं। इसकी तुलना नीरव मोदी मामले, मेहुल चोकसी मामले से करें। ”

'आरोपों के तर्क व आंकड़े समझ से परे…'

वकील विजय अग्रवाल ने यह भी कहा कि अनुबंधों को लेकर जो जानकारी सामने आई है, वह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने अमेरिकी अभियोग पर संदेह जताया और आरोपों के तर्क व आंकड़ों को समझ से परे बताया। वकील ने कहा, '2जी का मामला याद करें, जब यह शुरू हुआ था, तब मैंने 2010-11 में एक बयान दिया था कि यह कॉफी टेबल बुक के लिए अच्छा रहेगा, वही हुआ। उसके बाद उस केस में कुछ नहीं हुआ। यह पहली बार नहीं है, इसकी तुलना हाल ही के कनाडा वाले मामले या भारत में हुए कोयला घोटाले से करें। हमारे पास कई मामलों हैं जो हवा में लहराते रहते हैं, शुरू मीडिया सर्कस होता है और कुछ ध्यान दिया जाता है बाद में सब ठंडे पड़ जाते हैं।'

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