पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने ओडिशा के संबलपुर में कहा कि मारवाड़ी देश के गौरव हैं। इस मौके पर उन्होंने स्त्री: देह से आगे पर अपने विचार भी रखे।
एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत ओडिशा के संबलपुर में गुरुवार को मारवाड़ महोत्सव की शुरुआत हुई। महोत्सव के उद्घाटन समारोह में राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी, ओडिशा के मंत्री रवि नायक, स्थानीय विधायक जयनारायण मिश्र अतिथि के रूप में शामिल हुए।
उद्घाटन समारोह में प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि मारवाड़ी देश के गौरव हैं। मारवाड़ियों ने देश के हर राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मारवाड़ी शब्द सामाजिक विकास का, सामाजिक सौहार्द का लोगो बन गया है। जहां गए, वहां के होकर रह गए। पूरे भारत को एक माला की तरह पिरोकर रखा है। पत्रिका ने भी सभी को एक माला में पिरोया है। पत्रिका सामाजिक सरोकार के साथ आगे बढ़ा है। 24 कैरेट का काम पत्रिका कर रहा है। देश में देने का काम मारवाड़ी के पास है, इसी बात का हमें गर्व भी है। जहां हम खड़े हैं, वही हमारी धरती है, वही हमारी पहचान है।
ज्ञात है कि मारवाड़ी युवा मंच, खेतराजपुर एवं राजस्थान फाउंडेशन, ओडिशा की ओर से पांच दिवसीय आयोजन के समापन कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, ओडिशा के उप मुख्यमंत्री कनक वर्द्धन सिंह देव शामिल होंगे। साथ ही महोत्सव में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय जनजाति मंत्री जुएल ओरांव भी शिरकत करेंगे।
मां का कोई दूसरा नाम हो ही नहीं सकता। मां की कोई उम्र नहीं, मां की कोई आकृति नहीं होती। मां एक खाली भावना भी नहीं है। इसके अलावा भी बहुत कुछ है मां…। ‘स्त्री: देह से आगे’ विषय पर संबलपुर में संवाद करते हुए राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने मां के विराट स्वरूप पर ये उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम में नारी के अस्तित्व और दिव्यता पर उन्होंने व्यापक द्दष्टिकोण रखा।
कोठारी ने कहा कि आज की शिक्षा एकपक्षीय हो गई है। अभी शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ कमाई रह गया है, परिवार पालना हो गया है। इससे कैसे अच्छी कमाई करें, यही सोच हो गई है। इससे देश-दुनिया को नुकसान हो रहा है। उसमें भी महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान है।
मोबाइल- इंटरनेट हमें अपनी संस्कृति से दूर ले जा रहा है। आज की पढ़ाई ने इतना भ्रमित कर दिया है कि हम अपनी शक्तियों से वंचित हो रहे हैं। संवाद के दौरान कोठारी ने सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सरकार जनता की आवाज को दबाने के लिए नया कानून लेकर आई। इस पर पत्रिका ने खबरों के माध्यम से आवाज उठाई। सुप्रीम कोर्ट तक गए। सरकार को कानून वापस लेना पड़ा।
मां भी एक बीज है। पिता के बीज को बड़ा करती है मां। शरीर ही पेड़ बन रहा है। इस शरीर में ही आम लगेगा नया। शरीर तो मां है, लेकिन इसके भीतर पिता भी चल रहे हैं और तब तक चलेंगे जब तक नया आम नहीं लग जाएगा। कोई भी बीज अपना फल नहीं खा सकता। ये मां का भी स्वभाव है। मां जमीन में गड़ा हुआ बीज है। खुद के लिए कभी नहीं जीती है। उसका एक ही सपना है कि मैं पेड़ बनूं।
लड़की को ईश्वर जब जन्म देता है, तो उसे मां का भाव देकर भेजता है। छोटे भाई-बहनों की देख-रेख लड़की मां की तरह ही करती है। उसके लिए परिवार सब कुछ है। भगवान से भी वह अपने लिए कुछ नहीं मांगती। मां देवी की तरह त्रिकालदर्शी होती है। देवता को भी देवता, मां ही बनाती है।
कोठारी ने पत्रिका समूह के बारे में कहा कि जनहित के मुद्दों के लिए हम सरकार से भी लड़ जाते हैं। हम अपने पाठकों को भगवान मानते हैं। ब्रह्म मुहूर्त में अखबार पाठकों के घरों में जाता है, जैसे वह मंदिर में प्रवेश करता है।