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विदेश में रहते हैं, लेकिन भारत में हैं जड़ें, जानिए प्रवासी राजस्थानियों की नई इनवेस्ट पॉवर

NRI Investment in Rajasthan: प्रवासी राजस्थानी दिवस सम्मेलन के मददेनजर पेश है जर्मनी के म्यूनिख में बसे प्रवासी राजस्थानी राणा हरगोविंद सिंह से पत्रिका की बातचीत:

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Dec 07, 2025
जर्मनी में रह रहे राजस्थान मूल के राणा हरगोविंद सिंह। (फोटो: पत्रिका नेटवर्क)

NRI Investment in Rajasthan: विदेश में रहकर भी प्रवासी राजस्थानी अपनी मिट्टी से भावनात्मक रूप से मजबूती से जुड़े हुए हैं। जर्मनी के म्यूनिख में बसे राजस्थान मूल के राणा हरगोविंद सिंह (Rana Hargovind Singh) न सिर्फ अपनी संस्कृति को संजोए हुए हैं, बल्कि राज्य को वैश्विक मंचों पर निवेश, कौशल (Skill Development) और साझेदारी के लिए बेहतर काम कर रहे हैं। राणा का मानना है कि प्रवासी राजस्थानियों में अपार क्षमता और अनुभव है, जिसे सही दिशा दी जाए तो वे अपनी मिट्टी से जुड़ कर (Rajasthan Economy) विकास में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। प्रवासी केवल निवेशक (NRI Investment)नहीं, राजस्थान के वैश्विक दूत हैं। प्रवासी राजस्थानी दिवस सम्मेलन उनके लिए उम्मीदों का मंच है, जहां नीति, निवेश और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, समयबद्धता और एक समर्पित वन-स्टॉप सपोर्ट सिस्टम के संकेत दिए जा रहे हैं। पेश है सीधे जर्मनी से राणा हरगोविंद सिंह के साथ पत्रिका की बातचीत:

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पत्रिका: विदेश में रहते हुए राजस्थान से आपका जुड़ाव किस रूप में बना हुआ है?

राणा: भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव राजस्थान से कम नहीं हो सकता। म्यूनिख में रहते हुए मैं राजस्थान फाउंडेशन म्यूनिख और राजस्थान एसोसिएशन जर्मनी के माध्यम से प्रवासियों को राजस्थान की संस्कृति, परंपराओं और निवेश संभावनाओं की जानकारी दे रहा हूं। अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर और इंडो-जर्मन व्यापार प्लेटफॉर्म पर भी राजस्थान निवेश स्थल के रूप में उभर रहा है। मेरा प्रयास यही है कि राजस्थान की पहचान वैश्विक स्तर पर और मजबूत हो।

पत्रिका: प्रवासी राजस्थानी दिवस सम्मेलन से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं ?

राणा: यह सम्मेलन प्रवासियों के लिए नीतिगत बदलाव का मंच बने। विदेश में रहने वाले लोग अक्सर निवेश, नीतियों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं से दूर हो जाते हैं। इसलिए इस मंच के माध्यम से हमें स्पष्ट निवेश मार्गदर्शन, नीति की सरल व्याख्या, कानूनी सहायता और प्रशासनिक सपोर्ट मिलने की उम्मीद है। समयबद्ध क्लीयरेंस और व्यावहारिक प्रोजेक्ट मॉडल विकसित हों तो प्रवासियों का विश्वास और मजबूत होगा।

पत्रिका: क्या यह पहल नेटवर्क और निवेश को नई दिशा दे सकती है ?

राणा: बिल्कुल, यदि प्रवासियों को पारदर्शी और सरल प्रक्रिया मिले तो वे न सिर्फ स्वयं निवेश करेंगे, बल्कि अपने वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से बड़े निवेशकों और व्यवसायिक घरानों को भी राजस्थान से जोड़ पाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि सरकार एक स्पष्ट रोडमैप भी दे, जहां अनुमतियां आसान हो, कानूनी दिशा-निर्देश पारदर्शी हों और प्रोजेक्ट्स की नियमित मॉनिटरिंग होती रहे। ऐसा माहौल बनेगा तो राजस्थान अंतरराष्ट्रीय निवेश मानचित्र पर तेजी से उभरेगा।

पत्रिका: राजस्थान में निवेश की सबसे अधिक संभावनाएं किस सेक्टर में हैं ?

राणा: शिक्षा और स्किल डवलपमेंट में राज्य अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक व निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। डिफेंस कॉरिडोर और टेक्नोलॉजी में भी अधिक संभावनाएं हैं, क्योंकि भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। पर्यटन, विरासत और संस्कृति में विश्वस्तरीय मॉडल बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा स्टार्टअप्स, इनोवेशन और हेल्थकेयर सेक्टर में ग्लोबल पार्टनरशिप राजस्थान की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।

पत्रिका: निवेश की मुख्य चुनौतियां क्या हैं ?

राणा: सबसे बड़ी चुनौती प्रक्रिया की जटिलता होती है। खासकर उन प्रवासियों के लिए जो बाहर से निवेश करना चाहते हैं। कई बार तकनीकी और कानूनी दस्तावेजों को पूरा करना कठिन होता है। टेंडर प्रक्रिया में विदेशी निवेशकों को आवश्यकताओं को पूरा करने में मुश्किल आती है। साथ ही एक मजबूत इन्वेस्टर प्रोटेक्शन सिस्टम की भी जरूरत है। इन चुनौतियों को हल किया जा रहा है। इससे राज्य में निवेश कई गुना बढ़ सकता है।

पत्रिका: वन-स्टॉप इन्वेस्टमेंट सपोर्ट सिस्टम कैसा होना चाहिए ?

राणा: यह सिस्टम निवेशकों के लिए पूरी प्रक्रिया को सरल और भरोसेमंद बनाने वाला होना चाहिए। इसमें प्रोजेक्ट फिजिबिलिटी स्टडी, निवेश की चरणबद्ध जानकारी, कानूनी सहायता, कॉन्ट्रैक्ट सपोर्ट, भूमि आवंटन, क्लीयरेंस और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग, सभी सेवाएं एक मंच पर मिले। यदि एक समर्पित कंसीयर्ज टीम भी हो तो प्रवासी निवेशकों को हर स्टेप पर सहायता मिल सकती है।

पत्रिका: क्या आप किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जो प्रदेश हित में हो ?

राणा: हां, मैं जर्मनी-राजस्थान सहयोग के कई क्षेत्रों में सक्रिय हूं। स्किल डवलपमेंट के लिए एक मॉडल विकसित कर रहा हूं, जिससे युवाओं को अंतरराष्ट्रीय अवसर मिल सकें। जर्मन भाषा एकीकरण के लिए ‘भाषा पार्क’ की अवधारणा पर काम कर रहा हूं। इसके अलावा हेल्थकेयर नेटवर्क, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन प्रमोशन जैसे क्षेत्रों में भी परियोजनाएं चल रही हैं।

पत्रिका: राजस्थान के युवा विदेश में कैसे सफल हो सकते हैं?

राणा: विदेश में सफलता डिग्री से अधिक कौशल, भाषा ज्ञान और दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। युवाओं को अंग्रेजी या जर्मन जैसी भाषाओं में प्रवीणता हासिल करनी चाहिए। साथ ही प्रैक्टिकल स्किल्स, ट्रेनिंग और इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन उन्हें बेहतर अवसर दिलाते हैं। जो युवा तैयारी और मेहनत के साथ आगे बढ़ते हैं, उनके लिए वैश्विक मंच खुला है।

पत्रिका : राजस्थान को ग्लोबल निवेश गंतव्य बनाने का सबसे महत्वपूर्ण कदम क्या है?

राणा: सबसे अहम है एक मजबूत और विश्वसनीय इन्वेस्टर प्रोटेक्शन सिस्टम। जब निवेशकों को सुरक्षा, पारदर्शिता और प्रशासनिक समर्थन का भरोसा होगा, तभी बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आएगा। यदि यह ढांचा मजबूत बनता है, तो राजस्थान आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय निवेश का बड़ा केंद्र बन सकता है।

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