हिमोग्लोबिन टेस्ट के लिए पैथोलॉजी लैब में अच्छे खासे रुपए खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) के वैज्ञानिकों ने एक स्वदेशी उपकरण तैयार किया है। इससे खून में हीमोग्लोबिन की जांच पर महज दस से पचास पैसे ही खर्च होंगे।
-उत्पल शर्मा
National Technology Day : हिमोग्लोबिन टेस्ट के लिए पैथोलॉजी लैब में अच्छे खासे रुपए खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) के वैज्ञानिकों ने एक स्वदेशी उपकरण तैयार किया है। इससे खून में हीमोग्लोबिन की जांच पर महज दस से पचास पैसे ही खर्च होंगे। मेडिकल क्षेत्र में उपयोग के लिए इस तकनीक का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सीएसआइआर (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ) की महानिदेशक डॉ. कलाईसेल्वी एन. की मौजूदगी में 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर मेसर्स प्लास्टी सर्ज प्रा. लि., अमरावती (महाराष्ट्र) को किया जाएगा। इसके बाद यह कम्पनी इसका उत्पादन शुरू कर इसे बाजार में उपलब्ध कराएगी।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सत्यम श्रीवास्तव ने बताया कि तैयार की गई डिवाइस में स्ट्रिप के माध्यम से खून की बूंद डाली जाती हैं और कुछ ही क्षणों में हीमोग्लोबिन की जांच का परिणाम स्क्रीन पर मिल जाता है। उन्होंने बताया कि उपकरण के अब तक के सभी प्रयोग अच्छे रहे हैं।
प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार इसका एक बॉक्स करीब दो हजार रुपए में बाजार में उपलब्ध होगा। इसमें सौ स्ट्रिप होंगी। इस हिसाब से वैज्ञानिकों का अनुमान है कि प्रति जांच पर दस से पचास पैसे खर्च होंगे। बाजार में अब तक हिमोग्बल की जांच में करीब दो सौ से तीन सौ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। वहीं जांच रिपोर्ट के लिए घंटों इंतजार भी करना पड़ता है। इसमें परिणाम तुरंत मिल जाएगा।
यह बैटरी चलित आइओटी युक्त उपकरण है जो डेटा विजुअलाइजेशन, भंडारण और विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित ऐप के साथ कार्य करता है। यह ऐप उपयोगकर्ता के पिछली जांच रिपोर्टों के आधार पर भविष्य में एनीमिया या खून की कमी की संभावनाओं की जानकारी भी देता है। उपयोगकर्ता इस ऐप के माध्यम से अपने हीमोग्लोबिन डेटा को पांच वर्ष से अधिक समय तक सुरक्षित रख सकता है।
संस्थान के निदेशक डॉ. पी. सी. पंचारिया ने बताया कि हमारे वैज्ञानिकों की ओर से तैयार की गई तकनीक के प्रारंभिक प्रयोग सटीक मिले हैं। उन्होंने कहा कि हेल्थ केयर क्षेत्र को आमजन के लिए किफायती बनाना भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है। इसलिए संस्थान के वैज्ञानिकों ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन पर कार्य करते हुए स्मार्ट हीमोग्लोबिन मेजरमेन्ट सिस्टम विकसित किया है।