शिमला जिले में एक शिक्षक पर दलित छात्र से जातिगत भेदभाव के साथ मारपीट करने, का आरोप लगा है, जिसके बाद शिक्षक को 20 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, हालांकि शिक्षा विभाग ने विभागीय जांच में उसे क्लीन चिट दे दी है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां रोहड़ू तहसील के एक सरकारी स्कूल में एक टैम्परेरी टीचर पर दलित छात्र के साथ जातीगत आधार पर मारपीट करने और उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था। छात्र के पिता दुर्गा सिंह का आरोप था कि टीचर के बहुत अधिक मारपीट करने से उसके बेटे के कान का पर्दा खराब फट गया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि टीचर ने उनके बेटे के साथ जातिगत प्रताड़ना की, उसे क्लास में बाकि बच्चों से अलग बैठा कर खाना खिलाया। दुर्गा सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि टीचर ने बच्चे को बाथरूम में ले जाकर उसकी पैंट में बिच्छू बूटी नामक एक कंटीला पौधा डाल दिया।
दुर्गा सिंह ने टीचर के खिलाप पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके आधार पर शुक्रवार को टीचर को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया जहां से उसे 20 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अब बच्चे की मेडिकल जांच कराई गई है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि मामले की विभागीय जांच में शिक्षा विभाग ने टीचर को क्लीन चिट दे दी है। शिक्षा विभाग की डिप्टी डायरेक्टर निशा भलूनी ने बताया कि, मामले की जांच कर रही कमेटी ने गांव में जाकर लोगों से पूछताछ की और शिकायतकर्ता के आरोपों को निराधार पाया इसलिए टीचर को क्लीन चिट दे दी गई है। बाकि पुलिस अपनी कार्रवाई कर ही रही है।
इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के अध्यक्ष राकेश ने भी छूआछूत और मारपीट के आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें झूठा करार दिया है। राकेश ने बताया कि वह खुद भी एससी है और स्कूल में किसी के भी साथ जाती के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। उन्होंने आगे बताया, जिस टीचर पर आरोप लगे है उसकी पत्नी स्कूल में वाटर कैरियर का काम करती है और उन्हें कुछ समय पहले बच्चा हुआ है जिसके चलते वह स्कूल नहीं आ रही है। ऐसे में उसका पति उसकी जगह स्कूल में वाटर कैरियर का काम कर रहा था और साथ साथ स्कूल प्रबंधन समिति की इजाजत से बच्चों को भी पढ़ा रहा था।
दुर्गा सिंह ने एक नवंबर को एट्रोसिटी एक्ट (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अत्याचार और घृणा अपराधों को रोकना वाला कानून) तहत नितिश ठाकुर नामक टीचर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इसके अनुसार, आरोपी नितिश ठाकुर की पत्नी कृतिका ठाकुर स्कूल में वाटर कैरियर का काम करती है। मुख्य अध्यापक देवेंद्र ने कृतिका की जगह उसके पति नीतिश ठाकुर को अवैध रूप से बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर दिया था। शिकायतकर्ता के अनुसार, इस दौरान ठाकुर ने उसके बेटे के साथ मारपीट की थी और उसे घर पर इसके बारे में न बताने की धमकी भी दी थी। बच्चे के घर आने पर उसकी चोट की वजह से माता पिता को घटना का पता चला, जिसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज कराई।
टीचर के साथ साथ सिंह ने स्कूल पर भी जातिगत भेदभाव करने और अलग अलग जाती के बच्चों को अलग अलग बैठा कर खाना खिलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि, मुख्य अध्यापक देवेंद्र ने इस मामले को दबाने की कोशिश भी की थी। उन्होंने पीड़ित परिवार को कथित तौर पर 10,500 रुपये समझौते के तौर पर दिए और अपना मुंह बंद रखने को कहा। सिंह ने पंचायत प्रधान रोशन लाल पर भी उन्हें धमकाने का आरोप लगाया है। उसने कहा कि प्रधान ने उन्हें मामले को सोशल मीडिया पर न डालने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कथित तौर पर सिंह से कहा, जीना तो यहीं है, इतना मत उछलो।