Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं इस बात की सराहना कर सकता हूं कि वैधानिक निर्देश इसलिए बने क्योंकि तत्कालीन कार्यपालिका ने न्यायिक फैसले के आगे घुटने टेक दिए।
Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोकतंत्र में कार्यकारी नियुक्तियों में मुख्य न्यायाधीश की भागीदारी पर सवाल उठाया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में मुख्य न्यायाधीश को किसी भी कार्यकारी नियुक्ति में शामिल नहीं होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे जैसे देश या किसी भी लोकतंत्री में वैधानिक नुस्खे के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश सीबीआई निदेशक के चयन में कैसे भाग ले सकते हैं? क्या इसके लिए कोई कानूनी तर्क हो सकता है?
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यपालिका के मामलों में न्यायापालिका की भागीदारी एक संवैधानिक विरोधाभास प्रस्तुत करती है। इसे हल करने की आवश्यकता है ताकि प्रत्येक संस्था अपने-अपने क्षेत्र में कार्य कर सके।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं इस बात की सराहना कर सकता हूं कि वैधानिक निर्देश इसलिए बने क्योंकि तत्कालीन कार्यपालिका ने न्यायिक फैसले के आगे घुटने टेक दिए। लेकिन अब इस पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है। जगदीप धनखड़ ने कहा यह निश्चित रूप से लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता। हम भारत के मुख्य न्यायाधीश को किसी कार्यकारी नियुक्ति में कैसे शामिल कर सकते हैं?
वीपी धनखड़ ने कहा कि जवाबदेही तब लागू होती है जब निर्वाचित सरकार कार्यकारी भूमिकाएं निभाती है। सरकारें विधायिका के प्रति जवाबदेह होती है और समय-समय पर मतदाताओं के प्रति भी जवाबदेह होती है। लेकिन यदि कार्यकारी शासन को दबा दिया जाए या आउटसोर्स कर दिया जाए तो जवाबदेही लागू नहीं हो पाएगी।
बता दें कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अगले मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए बैठक होनी है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 पारित होने के बाद यह पहला चयन होगा।