Vice President Election: उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य वोट देते है। इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते है, लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा के विधायक वोट देते हैं।
Vice President Election: उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ से इस्तीफा देने के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की कवायद शुरू हो गई है। संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव आयोजित कराने का अधिकार प्राप्त है। यह चुनाव "राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952" तथा "राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974" के अंतर्गत संपन्न कराया जाता है। राज्यसभा और लोकसभा के मिलाकर सांसदों का कुल मौजूदा आंकड़ा 786 का है। जबकि चुनाव जीतने के लिए 394 वोटों की जरूरत होगी।
दोनों सदनों में NDA के पास 422 सांसदों का आंकड़ा है, जबकि इंडिया गठबंधन के पास 313 का संख्याबल है। इसके अलावा 51 अन्य है। अन्य में आम आदमी पार्टी, बीजेडी, वाइआरएस कांग्रेस और अन्य छोटे दल शामिल है। ऐसे में बीजेपीनीत गठबंधन एनडीए को अपना प्रत्याशी जीताने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
दरअसल, 543 सदस्यीय लोकसभा में फिलहाल बशीरहाट सीट रिक्त चल रही है। 542 सीटों में से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास वर्तमान में 293 सदस्य हैं। राज्यसभा में मनोनीत सांसदों के समर्थन को मिलाकर एनडीए को 129 सदस्यों का समर्थन है। ऐसे में एनडीए के पास कुल 422 सदस्यों का समर्थन है, जो आवश्यक साधारण बहुमत से 28 वोट अधिक है। विपक्ष एकजुट नहीं है। इंडिया ब्लॉक से आम आदमी पार्टी बाहर हो चुकी है। वहीं बीजेडी, वायएसआर कांग्रेस, टीआरएस जैसे दल अपने फैसले वक्त के हिसाब से लेते हैं।
उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य वोट देते है। इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते है, लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा के विधायक वोट देते हैं।
35 साल से अधिक उम्र का कोई भी भारतीय नागरिक उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकता है जो कि राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की सारी योग्यताों को पूरा करता हो। साथ ही वह किसी भी सरकारी लाभ के पद पर ना हो। प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए 15 हजार रुपये भी जमा कराने होते हैं। यह जमानत राशि होती है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रपोर्शनल रिप्रेजेटेंशन सिस्टम से होता है। इसमें खास तरह से वोटिंग होती है। वोटर को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता देनी होती है। पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और तीसरी पसंद को 3 और इसी तरह से प्राथमिकता तय करनी होती है।
मतदान के दिन शाम को मतगणना होती है। परिणाम घोषित होने के बाद विजयी प्रत्याशी के नाम के साथ 'रिटर्न ऑफ इलेक्शन' (फॉर्म-7) पर हस्ताक्षर किए जाते हैं।
संविधान के मुताबिक उपराष्ट्रपति के पद को जल्द से जल्द भरना होता है। इसका अर्थ है कि इस पद पर चुनाव के लिए जितनी जल्दी व्यवस्था हो करनी चाहिए। नियमों के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिन के अंदर करना होता है। यही कारण है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है।