केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि वह किसी की दया पर नहीं बल्कि सात बार चुनाव जीतकर इस पद पर पहुंचे हैं। टीएमसी के सांसद साकेत गोखले द्वारा सीबीआई पर सवाल उठाए जाने पर बहस गरमा गई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले के बीच गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में तीखी नोकझोंक हुई। बहस की शुरुआत तब हुई जब गोखले ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। सदन में हुई इस बहस ने एक बार फिर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और सदन में सदस्यों के आचरण जैसे मुद्दों को चर्चा में ला दिया है। अमित शाह का यह बयान कि वह किसी की दया पर नहीं, बल्कि सात बार चुनाव जीतकर इस पद पर पहुंचे हैं, राजनीति में उनके मजबूत जनाधार को रेखांकित करता है।
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सीबीआई गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती। उन्होंने कहा, शायद गोखले जी को जानकारी नहीं है कि सीबीआई गृह मंत्रालय के अधीन नहीं है। अगर आप इस विषय पर चर्चा चाहते हैं, तो मैं तैयार हूं। इस बीच गोखले ने शाह पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर दी, जिस पर गृह मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा, मैं किसी की दया पर या किसी विचारधारा के विरोध के कारण यहां नहीं पहुंचा हूं। मैं सात बार चुनाव जीतकर इस पद पर पहुंचा हूं। डरने का कोई सवाल ही नहीं है।
शाह ने पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि उनके समर्थकों पर हमले हुए और महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ। जब पीड़ितों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, तो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले दर्ज किए। शाह ने तृणमूल कांग्रेस पर न्यायिक आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कहा, पश्चिम बंगाल में एक भी सीबीआई विशेष अदालत नहीं है, इसी वजह से जांच लंबित है।
सदन में हंगामा तब और बढ़ गया जब टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने शाह के खिलाफ कथित तौर पर अशोभनीय टिप्पणी की। सत्तारूढ़ दल ने गोखले से माफी की मांग की, वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने गोखले को अपनी टिप्पणी वापस लेने का निर्देश दिया। गोखले ने इनकार कर दिया, जिसके बाद सभापति ने उनकी टिप्पणियों को सदन के रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया।
शाह के जवाब के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार सुझावों के लिए तैयार है, लेकिन व्यक्तिगत हमले सदन की गरिमा को कम करते हैं। उच्च सदन के नेता जेपी नड्डा ने भी गोखले से माफी की मांग की और कहा कि यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो उनकी टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटाया जाना चाहिए।