China Brahmaputra Mega Dam vs India Water Control : चीन भले ही ब्रह्मपुत्र पर मेगाडैम बना रहा हो, लेकिन भारत के हिस्से में अब भी सबसे ज्यादा जल प्रवाह आता है। मौसम और भौगोलिक स्थिति भारत को बढ़त देती है।
China Brahmaputra Mega Dam vs India Water Control: चीन ने यारलुंग त्संगपो नदी (भारत में ब्रह्मपुत्र नदी) पर करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये का मेगा डैम (China Brahmaputra Dam) बनाने की योजना शुरू की है। इस प्रोजेक्ट को मेडोग हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट कहा जा रहा है, जिसकी क्षमता 70 गीगावॉट होगी - जो दुनिया के सबसे बड़े थ्री गॉर्ज डैम से भी तीन गुना ज़्यादा है। हालांकि इससे भारत और बांग्लादेश को पानी की कमी या जल संकट की चिंता सताने लगी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की जल सुरक्षा पर इसका कोई गंभीर असर नहीं पड़ेगा। ध्यान रहे कि ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra river flow) तिब्बत से निकलती जरूर है, लेकिन इसका 80% से अधिक पानी भारत (India water control)में बनता है, खासकर अरुणाचल, असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों की बारिश और सहायक नदियों से बनता है। तिब्बत में साल भर में लगभग 300 मिमी बारिश होती है, जबकि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में यह आंकड़ा 2,300 मिमी से ज्यादा पहुंचता है। यानी चीन का नियंत्रण भले भू-भाग पर हो, लेकिन पानी का असली स्रोत भारत है।
ज्यादातर चीनी डैम, जिनमें मेडोग डैम भी शामिल है, ‘रन ऑफ द रिवर’ टाइप के हैं। इसका मतलब यह हुआ कि यह सिर्फ पानी के प्रवाह से बिजली पैदा करते हैं, और बड़े जलाशय या भंडारण नहीं करते। इसलिए चीन इन डैम्स से लंबे समय तक नदी का बहाव नहीं रोक सकता। इसका भारत के निचले इलाकों में पानी पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने भी इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर चीन थोड़ा सा पानी भी कंट्रोल करता है, तो हर साल असम में आने वाली बाढ़ का असर कम हो सकता है। क्योंकि असम की बाढ़ अधिकतर स्थानीय बारिश और भारतीय सहायक नदियों के कारण होती है, इसलिए चीन का प्रभाव सीमित रहेगा।
भारत के पास ब्रह्मपुत्र के पानी पर भौगोलिक, प्राकृतिक और रणनीतिक रूप से मजबूत पकड़ है। डिप्लोमैटिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन अगर जबरन पानी रोकेगा तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नुकसान होगा और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश भी विरोध में खड़े होंगे।
ब्रह्मपुत्र नदी का ज़्यादातर पानी भारत में ही बनता है।
चीन के डैम पानी रोकने की क्षमता नहीं रखते।
भारत की जल नीति और भौगोलिक स्थिति मज़बूत।
चीन की चाल से डरने की नहीं, सतर्कता की ज़रूरत है।
जल विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत को फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि यारलुंग त्संगपो पर बने डैम 'रन ऑफ द रिवर' टाइप के हैं, जो जल प्रवाह को स्थायी रूप से नहीं रोक सकते।
सामरिक विश्लेषकों ने चेताया है कि चीन का असली मकसद रणनीतिक दबाव बनाना हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियम इसके आड़े आएंगे।
ब्रह्मपुत्र पर भारतीय डैम योजना: भारत भी अब तेज़ी से ब्रह्मपुत्र पर अपने डैम और जल भंडारण प्रोजेक्ट को गति देने की तैयारी में है।
भारत-बांग्लादेश सहयोग मॉडल: ब्रह्मपुत्र साझा नदी है, और दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर नई द्विपक्षीय नीति बन सकती है।
पर्यावरणीय चिंता: डैम के निर्माण से स्थानीय पारिस्थितिकी और वन्य जीवन पर प्रभाव पड़ने की आशंका है।
बहरहाल बांग्लादेश के जल मंत्री ने भी हाल में बयान दिया है कि भारत और बांग्लादेश को साथ मिलकर ब्रह्मपुत्र की सुरक्षा नीति बनानी चाहिए। भारत सरकार चीन के जल-प्रोजेक्ट्स पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने की योजना बना रही है। इस मुद्दे को लेकर मॉनसून सत्र में संसद में बहस हो सकती है। जल संसाधन मंत्रालय की ओर से ब्रह्मपुत्र के सटीक जल आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग उठ रही है। असम और अरुणाचल में स्थानीय बाढ़ नियंत्रण योजनाओं पर तेज़ी लाई जा सकती है।