Health Insurance Policy: पिछले 10 वर्षों में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम सालाना 5 से 15% तक बढ़ा। इस दौरान चिकित्सा की महंगाई दर सालाना 14 फीसदी बढ़ी।
Health Insurance Premium : हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ने से कई पॉलिसीधारकों को अपना बीमा बंद करना पड़ रहा है या फिर कम कवर वाला प्लान लेना पड़ रहा है। इस साल 10 में से एक व्यक्ति ने अपना हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यू ही नहीं कराया। लगभग 10% लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम इस साल 30% या इससे भी ज्यादा बढ़ गया है। इनमें से सिर्फ आधे लोगों ने ही पूरा प्रीमियम भरा है। बीमा कंपनियों का कहना है कि क्लेम रेश्यो बिगड़ने की वजह से बीमा प्रीमियम बढ़ा है। क्लेम रेश्यो मतलब जितना प्रीमियम इकट्ठा हुआ, उसमें से कितने का क्लेम किया गया।
Health Insurance Premiums Skyrocketing: पिछले 10 साल में 52% पॉलिसीहोल्डर्स के प्रीमियम में सालाना 5-10% की तेजी रही। इसका मतलब है कि अगर किसी का प्रीमियम 100 रुपये था तो 10 साल बाद वह 162-259 रुपये हो गया। 38% पॉलिसीहोल्डर्स की सालाना बढ़ोतरी 10-15% रही। यानी उनका 100 रुपये वाला प्रीमियम 259-404 रुपये हो गया। लेकिन 3% लोगों का प्रीमियम सालाना 15-30% की स्पीड से बढ़ा, जिससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ गया है।
कुछ लोगों के प्रीमियम में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम हर साल एक जैसा नहीं बढ़ता। यह कुछ समय के अंतराल पर अचानक बढ़ता है। बीमा कंपनियां हर तीन साल में मेडिकल से जुड़ी चीजों की महंगाई के हिसाब से अपने रेट बदलती हैं। मेडिकल से जुड़ी चीजों की महंगाई मतलब इलाज का खर्च बढ़ना। उम्र बढ़ने के साथ भी प्रीमियम बढ़ता है। बुजुर्ग लोगों के इलाज का खर्च ज्यादा होता है इसलिए उनके प्रीमियम में भी ज्यादा बढ़ोतरी होती है।
कई लोग पैसे बचाने के लिए डिडक्टिबल का विकल्प भी चुन रहे हैं। डिडक्टिबल का मतलब है कि एक निश्चित रकम तक का खर्च आपको खुद उठाना होगा, उसके बाद ही बीमा कंपनी भुगतान करेगी। कई लोग सस्ते प्लान्स की ओर शिफ्ट हो रहे हैं या फिर कम कवरेज वाले विकल्प चुन रहे हैं। मेडिकल महंगाई और नई तकनीक के अलावा हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा भी बढ़ रहा है, जिससे प्रीमियम पर असर पड़ रहा है। पॉलिसीबाजार के सर्वे के मुताबिक, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों का प्रीमियम कलेक्शन चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 10 फीसदी कम हो गया है।
बाजार के विशेषज्ञों का कहना है हेल्थ इंश्योरेंस का रिन्यूवल घटने का कारण सिर्फ प्रीमियम में बढ़ोतरी नहीं है, बल्कि क्लेम खारिज होना भी है। एक रिपोर्ट के मुताबित, हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने पिछले 3 साल में करीब 50 फीसदी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को पूरी तरह या आंशिक तौर पर खारिज किया है। इससे बाद ग्राहकों के मन में बीमा कंपनियों को लेकर संशय पैदा हुआ है कि महंगी पॉलिसी खरीदने के बावजूद जरूरत पर कंपनियां क्लेम खारिज कर देती हैं तो फिर बीमा का क्या फायदा?