Richest Village in India: गुजरात के कच्छ जिले का माधापुर गांव एशिया का सबसे समृद्ध गांव बन चुका है, जहां निवासियों की कमाई से गांव में 7000 करोड़ रुपये से अधिक की फिक्स्ड डिपॉजिट जमा हैं।
Richest Village in Asia: गुजरात के कच्छ जिले में भुज के बाहरी इलाके में बसा एक छोटा सा गांव माधापुर आज न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे एशियाई महाद्वीप का सबसे धनी गांव बन चुका है। लगभग 32,000 की आबादी वाले इस गांव के निवासियों ने सामूहिक रूप से बैंकों में 7,000 करोड़ रुपये से अधिक की फिक्स्ड डिपॉजिट जमा कर रखी हैं। गांव की 65 प्रतिशत आबादी एनआरआई (नॉन-रेजिडेंट इंडियंस) है, जो विदेशों में कमाई कर अपनी जन्मभूमि में भारी निवेश कर रहे हैं।
यह गांव पारंपरिक ग्रामीण जीवन की छवि को पूरी तरह बदल देता है। जहां सामान्य गांवों में कीचड़ भरी सड़कें और बुनियादी सुविधाओं की कमी देखने को मिलती है, वहीं माधापुर में चौड़ी सड़कें, झीलें, आधुनिक स्कूल-कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, मंदिर और बड़े-बड़े बंगले नजर आते हैं। गांव में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) समेत 17 प्रमुख बैंक अपनी शाखाएं चला रहे हैं, जो इसकी आर्थिक समृद्धि का प्रमाण है।
माधापुर की सफलता का राज इसके एनआरआई निवासियों में छिपा है। ये लोग मुख्य रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अफ्रीकी देशों में बसे हैं। इनमें से कई अफ्रीका में निर्माण क्षेत्र में काम करते हैं, जो गांव की संपत्ति का बड़ा हिस्सा जुटाने के लिए जिम्मेदार हैं। हर साल करोड़ों रुपये की रेमिटेंस गांव पहुंचती है, जिसका बड़ा हिस्सा परिवारों के अलावा सामुदायिक विकास पर खर्च होता है।
गांव के एक बुजुर्ग निवासी ने कहा, "माधापुर आज जो कुछ भी है, वह इसलिए क्योंकि हम अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते। हमारे लोग विदेश में कमाते हैं, लेकिन उनका दिल हमेशा यहां रहता है। वे न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि स्कूल, अस्पताल और सड़कों के लिए सबके हित में पैसा भेजते हैं।" एक अन्य ग्रामीण ने भावुक होकर कहा, "यह गांव नहीं, हमारा साझा सपना है। इसे उन लोगों ने बनाया जो चले गए, लेकिन कभी सच में गए ही नहीं।"
लंदन स्थित माधापुर विलेज एसोसिएशन जैसे संगठन भी इस विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये एनआरआई समुदाय को एकजुट रखते हुए गांव के प्रोजेक्ट्स को फंडिंग प्रदान करते हैं।