राष्ट्रीय

सिंधु जल संधि: भारत को पानी रोकने में लग सकते है 5 से 10 साल, सरकार ने तैयार किया ये प्लान

Indus Water Treaty: भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान जाने वाले तीन पश्चिमी नदियों के पानी को रोकने के लिए काम शुरू कर दिया है।

3 min read
Apr 28, 2025

Indus Water Treaty: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर कड़ा संदेश दिया है। पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा बनी तीन पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी को पूरी तरह रोकना फिलहाल दूर की कौड़ी है। लेकिन भारत इन नदियों पर पूरा हक जता कर परियोजनाओं पर तेजी से काम करेगा तो आने वाले वर्षों में आतंक के आका पाकिस्तान का पूरा पानी रोककर उसे बूंद-बूंद के लिए तरसाया जा सकता है। जल संधि स्थगित करने से भारत को इन परियोजनाओं पर तेजी से काम करने का रास्ता साफ हो गया है और केंद्र सरकार ने तीन चरण की योजना पर काम शुरू भी कर दिया है। जल संधि स्थगित होने से रुकी हुई परियोजनाओं पर भी काम होगा।

आतंकी के आका को सबक, सिंधु जल संधि स्थगन बड़ा मौका

सिंधु जल संधि में पाकिस्तान के हिस्से में आई पश्चिमी नदियों के सालाना 135 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी से फिलहाल भारत 10 एमएएफ पानी का भंडारण कर रहा है। संधि के कारण भारत को इन नदियों पर बांध बना कर पानी रोकने के बजाय केवल रन ऑफ बांध बनाने यानी जल विद्युत परियोजनाओं के लिए पानी के उपयोग की ही अनुमति है। पाकिस्तान इसमें भी अक्सर विरोध दर्ज कराता है। जल संधि समाप्त हाेने से अब भारत को बांध बनाने, भंडारण क्षमता बढ़ाने, नहरी तंत्र बनाने की खुली छूट होगी जिससे आगे चलकर किसानों, उद्योगों, बिजली उत्पादन और पेयजल उपलब्धता में लाभ होगा। भारत के हिस्से में आई तीन नदियों रावी, ब्यास, सतलुज के 33 एमएएफ पानी के अधिकतर हिस्से का भारत पूरा उपयोग कर रहा है। इस पानी से राजस्थान तक खेत लहलहा रहे हैं।

3 चरण में काम

गाद निकालने से काम शुरु, बांध-नहरें बनानी होंगी

1.तात्कालिक उपाय: मौजूदा जलभराव ढांचों व बांधों से गाद निकाल कर (डी-सिल्टिंग) पानी रोकना होगा। साथ ही मौजूदा निर्माणाधीन परियोजनाओं के काम में तेजी लाई जाएगी। संधि स्थगन के साथ नदी जल नियंत्रण में पाकिस्तान की राय या दखल के लिए कोई जगह नहीं है। बहाव को भारत की जरूरतों के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा। इससे पाकिस्तान को संवेदनशील डेटा नहीं मिलने से मुसीबत होगी।

2 मध्यम अवधि: मौजूदा परियोजनाओं के बांधों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इससे वे ज्यादा पानी का भंडारण बढ़ेगा। साथ ही पश्चिमी नदियों पर छोटे बांध और जल विद्युत परियोजनाएं बनाई जाएंगी।

    3 दीर्घ अवधि: पश्चिमी नदियों पर केवल बिजली उत्पादन नहीं, पानी भंडारण के लिए भी बड़ी बांध परियोजनाएं और पानी डायवर्ट करने के लिए नहरें बनाई जाएंगी। इसमें 5 से 10 वर्ष तक लग सकते हैं।

    अभी यह हालात, ऐसे बढ़ेंगे कदम

    1 झेलम: नदी के बहाव का करीब 500 किमी हिस्सा भारत और पीओके में आता है।

      बांध और क्षमता : भारत में झेलम पर कोई जल भंडारण बांध नहीं है। उरी पनबिजली परियोजना और झेलम की सहायक किशनगंगा में बांदीपुरा में भी रन-ऑफ बांध बना है।

      क्या करेंगे: वुलर झील के पास 1980 में बनी तुलबुल बांध परियोजना पर काम शुरू हो सकता है जो पाकिस्तान के विरोध के कारण रुक गया था।

      2 सिंधु: 3180 किमी लंबी सिंधु का करीब 78 प्रतिशत बहाव पाकिस्तान में है।

        बांध और क्षमता : भारत में सिंधु नदी पर केवल 1 बांध निमू बाजगो अलची लद्दाख में 2014 में बना। यह रन-ऑफ बांध 45 मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है।

        क्या करेंगे : फिलहाल कोई नई बांध परियोजना भी प्रस्तावित नहीं है। संधि स्थगित होने पर जल भंडारण के लिए मध्यम अवधि में छोटे और दीर्घकाल में नए भंडारण बांध बन सकते हैं।

        3 चिनाब: ऋग्वेद में अस्किनी नदी नाम से पहचानी जाने वाली 974 किमी लंबी चिनाब नदीभारत और पीओके में करीब 500 किमी बहती है।

          बांध और क्षमता

          भारत में चिनाब पर 3 प्रमुख रन-ऑफ बांध हैं:

          1 बगलिहार : रामबन जिले में 2008 में यह बांध बना। इससे सालाना 900 मेगावाट बिजली बनती है।

          2 सलाल : डोडा जिले में यह रन ऑफ बांध 1986 में बना और 690 मेगावाट बिजली उत्पादन करता है।

          3 दुलहस्ती : रियासी में तीसरा रन ऑफ रिवर बांध 2007 में बना था। इससे 390 मेगावाट बिजली बनती है।

            क्या करेंगे: मौजूदा चालू परियोजनाें पाकल दुल, किरु, किश्तवाड़ रन ऑफ बांध को जल भंडारण बांध बनाया जा सकता है। किश्तवाड़ में 850 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता वाला रतले बांध 2026 तक बनने जा रहा है। यह भी अतिरिक्त पानी का रन-ऑफ है, जिसमें होगी। पानी की हमेशा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यहां वैकल्पिक बांध बनाया जा सकता है। हालांकि इसमें समय लग सकता है।

            Published on:
            28 Apr 2025 09:07 am
            Also Read
            View All

            अगली खबर