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पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी को तरसेगा, सिंधु जल संधि खत्म करने का प्लान तैयार: अमित शाह की बैठक में बड़ा फैसला

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर सिंधु जल समझौता के निलंबन को लेकर बैठक हुई। बैठक में पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने के तरीकों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई।

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Pahalgam Terror Attack: भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को लेकर अब निर्णायक मोड़ आता दिख रहा है। शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर इस मुद्दे को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील भी शामिल हुए। करीब 45 मिनट तक चली इस बैठक में पाकिस्तान को जाने वाले पानी को पूरी तरह रोकने के विकल्पों पर गंभीर चर्चा की गई।

3 चरण में लागू होगा फैसला

सूत्रों के अनुसार, बैठक में अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक तीन विकल्पों पर विचार किया गया। सरकार का स्पष्ट रुख है कि अब पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी नहीं दिया जाएगा। बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि पानी रोकने के हर संभावित उपाय पर तुरंत काम शुरू किया जाएगा और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दे दिए गए हैं।

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पाकिस्तान को आधिकारिक सूचना

इससे पहले जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान को पत्र लिखकर सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित रखने की जानकारी दी थी। पत्र में बताया गया कि यह निर्णय भारत द्वारा पहले भेजे गए नोटिसों और अनुच्छेद 12(3) के तहत संधि में संशोधन की मांग पर आधारित है। भारत का कहना है कि बदलती जनसंख्या, ऊर्जा आवश्यकताएं और जल वितरण से जुड़े अनुमान अब पहले जैसे नहीं रहे, इसलिए संधि की शर्तों की पुनः समीक्षा जरूरी हो गई है।

सुरक्षा कारण भी अहम

भारत ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकवाद को बढ़ावा देने और वार्ता के प्रयासों को नजरअंदाज करने से भारत को संधि के तहत अपने अधिकारों का उपयोग करने में बाधा पहुंची है। इन सब कारणों के चलते भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को फिलहाल निलंबित रखा जाए।

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क्या है संधि जल संधि

गौरतलब है कि सिंधु जल संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। इसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) का जल उपयोग करने का अधिकार मिला, जबकि तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) का जल पाकिस्तान को दिया गया था। अब इस समझौते पर भारत सरकार के कठोर रुख से दोनों देशों के संबंधों में एक नया मोड़ आने की संभावना है।

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