India's Venus Orbiter Mission: ISRO ने शुक्र और चंद्रयान-4 मिशन की रूपरेखा तय कर ली है। शुक्र मिशन पृथ्वी की कक्षा से यह निकलेगा और कुछ महीने बाद शुक्र की कक्षा में पहुंचेगा। पत्रिका के रिपोर्टर राजीव मिश्रा मिशन के बारे में विस्तार से बता रहे हैं
Venus Orbiter Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्र और चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayan-4 Mission) की रूपरेखा तैयार कर ली है। शुक्र मिशन के साथ कुल 19 पे-लोड भेजे जाएंगे जबकि चंद्रयान-4 के 5 मॉड्यूल होंगे जिन्हें दो हिस्से में लाॅन्च किया जाएगा। इसरो अपने दोनों मिशन अत्याधुनिक प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 (LVM 3) से लाॅन्च करेगा। चंद्रयान-4 को लाॅन्च करने के लिए 2 एलवीएम-3 रॉकेट (LVM 3 rocket) का प्रयोग होगा। चंद्रयान-4 मिशन पर 2104.06 करोड़ रुपए और शुक्र मिशन पर 1236 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
इसरो ने बताया कि शुक्र मिशन पृथ्वी की कक्षा से यह 29 मार्च 2028 को निकलेगा और लगभग 112 दिन बाद 19 जुलाई 2028 को यह शुक्र की कक्षा में पहुंचेगा जहां इसे 500 गुणा 60 हजार किमी वाली अंडाकर (चपटी) कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद लगभग 6 से 8 महीने का समय एयरोब्रेकिंग चरण होगा। इस दौरान अंतरिक्षयान को शुक्र ग्रह की 200 किमी गुणा 600 किमी वाली कक्षा में पहुंचाया जाएगा। इस कक्षा में अंतरिक्ष यान शुक्र पर 90 डिग्री कोण पर झुका रहेगा जिससे ग्रह के परिवेश और सतह का पांच वर्ष तक बारीकी से अध्ययन हो सकेगा।
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इस मिशन के साथ भेजे जाने वाले 19 पे-लोड (वैज्ञानिक उपकरणों) में से 16 पूर्ण स्वदेशी उपकरण होंगे। वहीं, एक पे-लोड भारत और स्वीडन की साझेदारी में और एक पे-लोड भारत और जर्मनी की साझेदारी में तैयार होंगे। एक-पे-लोड का निर्माण रूस करेगा।
चंद्रयान-4 मिशन में कुल 5 मॉड्यूल होंगे। एसेंडर मॉड्यूल (एएम), डिसेंडर मॉड्यूल (डीएम), री-एंट्री मॉड्यूल (आरएम), ट्रांसफर मॉड्यूल (टीएम) और प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम)। इन्हें दो हिस्सों में बांटकर लाॅन्च किया जाएगा और दोनों हिस्से पृथ्वी की कक्षा में जुड़कर एक साथ चंद्रमा की ओर रवाना होंगे। दोनों हिस्से एलवीएम-3 से लाॅन्च किए जाएंगे। डिसेंडर और एसेंडर मॉड्यूल एक हिस्से में होंगे। बाकी तीन मॉड्यूल दूसरे हिस्से में होंगे।
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