जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति की तलाश शुरू हो गई है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बंडारू दत्तात्रेय को उपराष्ट्रपति बनाने की मांग की है। अगर पीएम मोदी उनसे संपर्क करते हैं तो वह दत्तात्रेय का नाम आगे बढ़ाएंगे। अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
जगदीप धनखड़ ने सोमवार को भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। अब उनकी जगह कौन लेगा? इसकी तलाश तेज हो गई है। उधर, तेलंगाना से भी एक खास चेहरे को उपराष्ट्रपति बनाने की आवाज उठाई गई है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हरियाणा के पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को उपराष्ट्रपति बनाने की मांग की है। रेड्डी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औपचारिक रूप से उनसे संपर्क करते हैं, तो वह उपराष्ट्रपति पद के लिए दत्तात्रेय का नाम आगे बढ़ाएंगे।
सीएम रेड्डी ने कहा कि बंडारू दत्तात्रेय तेलंगाना से हैं और एक सभ्य व्यक्ति हैं। मैं उनकी मदद करने की पूरी कोशिश करूंगा, लेकिन मैं कोई वादा नहीं कर सकता। यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। तेलंगाना की ओर से मैं अपने नेतृत्व से जरूर अनुरोध करूंगा।
सीएम रेड्डी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि धनखड़ जी ने इस्तीफा क्यों दिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत का उपराष्ट्रपति तेलंगाना से होना चाहिए।
पिछली बार चर्चा थी कि वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति बनाया जाएगा, लेकिन अन्याय हुआ और उन्हें दिल्ली से वापस भेज दिया गया।
एक तेलुगु भाषी व्यक्ति को उनके घर वापस भेज दिया गया। इसलिए, इसे ठीक करने के लिए, बंडारू दत्तात्रेय को हरियाणा के राज्यपाल का पद दिया गया।
बंडारू दत्तात्रेय मूल रूप से हैदराबाद के रहने वाले हैं। उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी खास नाता रहा है। बंडारू दत्तात्रेय 1965 में आरएसएस से जुड़े।
वह लंबे समय तक आरएसएस में कई पदों पर रहे। भाजपा के स्थापना के वक्त से ही बंडारू दत्तात्रेय पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। 1970 में इमरजेंसी के दौरान बंडारू दत्तात्रेय भी जेल में रहे।
साल 1980 में भाजपा ने बंडारू दत्तात्रेय को आंध्र प्रदेश का सचिव बनाया था। लगातर 9 साल तक वे इस पद पर रहे। इसके बाद 1991 के लोकसभा चुनाव में सिकंदराबाद सीट से उन्होंने पहली बार जीत दर्ज की थी। तब आंध्र प्रदेश से जीत दर्ज करने वाले वह एकमात्र भाजपा नेता थे। इसके बाद, 1997 में बंडारू दत्तात्रेय को आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया।
1996 के लोकसभा चुनाव में दत्तात्रेय को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, दो साल बाद फिर से सिकंदराबाद सीट पर चुनाव हुआ। तब उन्होंने 185,910 मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंदी को हराया था।
दत्तात्रेय पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में दत्तात्रेय को हार का सामना करना पड़ा था।
साल 2013 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। 2014 के लोसकभा चुनाव में उन्होंने सिकंदराबाद सीट पर चौथी बार जीत दर्ज की।
पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में दत्तात्रेय मंत्री भी रहे। 2017 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उनकी जगह पर सिकंदराबाद सीट से जी किशन रेड्डी को टिकट दे दिया।
साल 2019 में दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद, 18 जुलाई 2021 से 21 जुलाई 2025 तक वे हरियाणा के राज्यपाल रहे। दत्तात्रेय के बेटे का हार्ट अटैक से निधन हो गया है। उनकी बेटी राजनीति में सक्रिय हैं।