भारत के इस राज्य में महिलाओं को देवी का दर्जा प्राप्त है और उन्हें जीवनसाथी चुनने की पूरी आज़ादी है।
झारखंड के आदिवासी समाज में महिलाओं को विशेष सम्मान प्राप्त है। यहां सदियों से चली आ रही एक अनोखी परंपरा देशभर में चर्चित है। वहां महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है और उनकी इच्छा को ऊपर वाले का आदेश माना जाता है। इसी कारण महिलाओं को जीवनसाथी चुनने में विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
वहां के लोगों का कहना है कि उनके समाज में अगर कोई महिला किसी पुरुष के घर में घुसकर यह घोषणा कर दे कि यह व्यक्ति मेरा पति है, तो भले ही पुरुष उसे जानता न हो, उसे उस महिला से शादी करनी ही पड़ती है। मना करने का अधिकार नहीं होता। पूरा समाज महिला के पक्ष में खड़ा हो जाता है।" यह परंपरा महिलाओं को अपने मनपसंद वर चुनने की आजादी देता है।
अगर लड़का शादी से मना करता है, तो पंचायत महिला के पक्ष में फैसला सुनाती है। ऐसे में महिला को लड़के की संपत्ति का 50% हिस्सा मिल जाता है। वह पूरे सम्मान के साथ उसी घर में रह सकती है। लड़का फिर भी सहमत न हो, तो महिला को घर में अलग कमरा आवंटित कर दिया जाता है, जहां वह आराम से जीवन व्यतीत कर सकती है। घर से उसे कोई नहीं निकाल सकता।
वहां के लोगों के बीच "महिलाओं को देवी माना जाता है। उनकी इच्छा और आदेश का बहुत सम्मान किया जाता है। यह मान्यता है कि उनकी बात ऊपर वाले की मर्जी होती है। इसी वजह से वर चुनने के मामले में उन्हें इतनी स्वतंत्रता और इज्जत दी गई है।" यह परंपरा झारखंड के आदिवासी समुदाय में महिलाओं की मजबूत स्थिति को दर्शाती है, जहां वे न केवल घर-परिवार संभालती हैं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में भी बराबर की भागीदार हैं।